पापी कौन ?

पापी कौन ?

काशी में प्रतापमुकुट नाम का राजा राज्य करता था। उसके वज्रमुकुट नाम का एक बेटा था। एक दिन राजकुमार दीवान के लड़के को साथ लेकर शिकार खेलने जंगल गया। घूमते-घूमते उन्हें तालाब मिला। उसके पानी में कमल खिले थे और हंस किलोल कर रहे थे। किनारों पर घने पेड़ थे, जिन पर पक्षी चहचहा रहे थे। दोनों मित्र वहाँ रुक गये और तालाब के पानी में हाथ-मुँह धोकर ऊपर महादेव के मन्दिर पर गये। घोड़ों…

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व्‍यक्ति के अस्तित्व का मूल बिंदु हैं पिता

व्‍यक्ति के अस्तित्व का मूल बिंदु हैं पिता

पहले की हिन्दी फिल्मों में हर रिश्ते को गीतों में तरजीह दी जाती थी। सिर्फ प्रेम-गीत ही नहीं बनते थे। भाई-बहन के रिश्तों पर गीत बनाए गए, ‘सुन भई चाचा, हां भतीजा’ जैसे गीत भी बने। दोस्ती पर तो कई गीत हैं, इसी तरह मां पर गीतों की भरमार भी मां से जुड़ी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। और हां, पिता या पिता द्वारा भी हिन्दी फिल्मों में कई गीत हैं जो पिता के वात्सल्य…

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मोल भाव

मोल भाव

अपना काम समाप्त कर ऑफिस से बहार निकल कर शर्माजी ने स्कूटर स्टार्ट किया और घर के ओर रवाना हो ही रहे थे कि अचानक उन्हें याद आया सुबह घर से निकलते समय पत्नी ने कहा था, “आज मंगलवार है, बाकी फल तो है, केले खतम हो गए हैं, ऑफिस से आते समय 1 दर्ज़न केले लेते आना। शर्माजी ने घड़ी देखी तो शाम के 6 बज़ रहे थे, आज काम भी ज्यादा था, अफसरों…

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खूंटियाँ

खूंटियाँ

कुछ दिनों पहले की बात है, एक व्यक्ति राजस्थान गया था। उसे रास्ते में एक ढाबा मिला। उसने भोजन किया और रात में वहीँ रूक गया। थोड़ी देर बाद उसी ढाबे में व्यापारियों का एक दल भी आकर रुका, जिनके पास कई सारे ऊँट  थे। उन व्यापारियों के साथ एक नौकर भी था जो सारे ऊँटों की देख-रेख और उनके खाने – पीने का ध्यान रखता था। सभी व्यापारी ऊँटों से अपना सामान लेकर ढाबे…

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3 छोटी-छोटी कहानियां, ये किसी की भी सोच को दे सकती हैं एक नई दिशा

(1) भगवान बुद्ध का अंत समय आ चुका था। सभी शिष्य एकत्र हुए। अपने शिष्यों के लिए उनका अंतिम संदेश था। हे मित्रों। जब तक तुम सभी संयमी होकर मित्रभाव से रहोगे, एक साथ मिल बांट कर खाओगे और धर्म के रास्ते पर मिल कर चलोगे। तब तक बड़ी से बड़ी विपत्ति आने पर भी तुम नहीं हारोगे, लेकिन जिस दिन तुम संगठित न होकर बिखर कर रहने लगोगे, पराजित हो जाओगे। संगठन में अपार…

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चार कीमती रत्न

चार कीमती रत्न

एक वृद्ध संत ने अपनी अंतिम घड़ी नज़दीक देख अपने बच्चों को अपने पास बुलाया और कहा, मैं तुम बच्चों को चार कीमती रत्न दे रहा हूँ, मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम इन्हें सम्भाल कर रखोगे और पूरी ज़िन्दगी इनकी सहायता से अपना जीवन आनंदमय तथा श्रेष्ठ बनाओगे। 1~पहला रत्न है: “माफी” तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे, तुम उसकी बात को कभी अपने मन में न बिठाना, और ना ही उसके लिए कभी…

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विक्रम बेताल, कहानी_1

अंग देश के एक गाँव मे एक बहुत ही धनी ब्राह्मण रहता था। उसके तीन पुत्र थे। एक बार धनी ब्राह्मण ने एक यज्ञ करना चाहा। उसके लिए उसे एक कछुए की जरूरत हुई। उसने तीनों भाइयों को कछुआ लाने को कहा। वे तीनों समुद्र पर पहुँचे। वहाँ उन्हें एक कछुआ मिल गया। बड़े ने कहा, ‘‘मैं भोजनचंग हूँ, इसलिए कछुए को नहीं छुऊँगा।’’ मझला बोला, ‘‘मैं नारीचंग हूँ, मैं नहीं ले जाऊँगा।’’ सबसे छोटा…

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गिद्धों की उड़ान

गिद्धों की उड़ान

गिद्धों का एक झुण्ड खाने की तलाश में भटक रहा था। उड़ते – उड़ते वे एक टापू पे पहुँच गए। वो जगह उनके लिए स्वर्ग के समान थी। हर तरफ खाने के लिए मेंढक, मछलियाँ और समुद्री जीव मौजूद थे और इससे भी बड़ी बात ये थी कि वहां इन गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था और वे बिना किसी भय के वहां रह सकते थे। युवा गिद्ध कुछ ज्यादा ही…

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फ़क़ीर का उपदेश

फ़क़ीर का उपदेश

एक बार गाँव में एक बूढ़ा फ़क़ीर आया । उसने गाँव के बाहर अपना आसन जमाया । वह बड़ा होशियार फ़क़ीर था । वह लोगों को बहुत सी अच्छी-अच्छी बातें बतलाता था । थोड़े ही दिनों में वह मशहूर हो गया । सभी लोग उसके पास कुछ न कुछ पूछने को पहुँचते थे । वह सबको अच्छी सीख देता था । गाँव में एक किसान रहता था । उसका नाम रामगुलाम था । उसके पास…

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व्‍यर्थ की चिंता

व्‍यर्थ की चिंता

हरिराम घर का मुखिया था। वह पूरा दिन अपनी दुकान पर काम करता और शाम को जब वह अपने घर आता तो परिवार के सभी लोगों को हंसते-खेलते व मौज-मस्‍ती करते देख मन ही मन बहुत खुश होता और अपने परिवार की सलामती के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करता। हरिराम के गाँव के बाहर एक विशाल जंगल था और उसी जंगल से होकर ही कहीं आया व जाया जा सकता था। हरिराम जिस रास्‍ते…

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