आरोप: नेशनल कांपिटिशन में हुआ था 50 लाख का गबन

पूर्व खेल अधिकारी व उप संचालक ने की थी धांधली, तीन साल बाद फाइल खुली

खास बात

कब – वर्ष 2015-16
खेल – हैंडबॉल व कबड्डी
बजट – 1.25 करोड़ रुपए

जिले में तीन साल पहले हुई राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी व हैंडबॉल प्रतियोगिता में करीब 50 लाख का गबन हुआ था। धांधली तात्कालीन खेल अधिकारियों ने ही की थी। यह बात सोमवार को उस समय आई जब प्रतियोगिता से संबंधित भुगतान के बिल निकाले गए। मामले में जल्द ही शिकायत करने के दावे किए जा रहे हैं।

हर साल राष्ट्रीय खेलों को आयोजन जिला मुख्यालय पर होता है। इसी के चलते वर्ष 2015-16  में खेल विभाग के तात्कालीन उप संचालक विनोद प्रधान (वर्तमान सहायक संचालक भोपाल) व तात्कालीन जिला खेल अधिकारी (वर्तमान खंडवा डीएसओ) रीना चौहान (अजनारिया) ने हैंडबॉल व जूनियर बालक बालिका कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन करवाया था।

इसके लिए करीब 1.25 करोड़ रुपए का बजट मंजूर हुआ था। इन पर आरोप है कि इन्होंने खिलाडिय़ों को धर्मशाला में ठहराया, लेकिन बिल होटल के लगा दिए। वहीं केटरिंग बील में भी धांधली की है। यहीं नहीं प्रधान पर आरोप है कि संघ से जुड़े होने के कारण गबन सामने आने के बाद भी मामले की जांच नहीं हो पाई थी। इधर दोनों ने इस संबंध में अपना पक्ष रखकर जांच करवाने की वकालत की है।

होटल में 14 कमरे ठहराया 800 को

हेंडबाल प्रतियोगिता 11 से 16 अक्टूबर 2015 तक हुई इसके लिए किश्तों में 65 लाख रुपए आए थे। इसमें देश भर से 800 खिलाड़ी आए थे। आरोप है कि उन्हें धर्मशाला में ठहरा कर बील ब्रिलियंट होटल का लगाया।

सवाल खड़े किए कि होटल मे सिर्फ 14 रुम है तो इतने खिलाड़ी कैसे रूके। वहीं नाक आउट पद्धती होनेसे प्रतिदिन खिलाड़ी कम होते गए बावजूद अंकित केटरर्स को 10 से 17 अक्टूबर तक खिलाडिय़ों के खानपान का 19.20 लाख का भूगतान दर्शाया।

56 लाख में कबड्डी

रिकॉर्डनुसार राष्ट्रीय स्तर की जूनियर बालक-बालिका कबड्डी प्रतियोगिता 3 से 7 जनवरी 2016 तक हुई थी। इसके लिए खेल एवं कल्याण विभाग द्वारा किश्तों में 56 लाख रुपए भेजे गए थे।

खिलाडिय़ों को रहन-सहन व खान-पान की क्वालिटी निम्न स्तर की थी। बावजूद बिल हाई-फाई लगाए गए। सूत्रों के अनुसार तब शिकायत का प्रयास किया गया था, लेकिन उप संचालक प्रधान के कारण निष्पक्ष जांच संभव नहीं थी।

इनका कहना है …

पुराना मामला है। तुरंत बता पाना संभव नहीं हम नियमानुसार राशि अलाटमेंट कर देते है। मेरा सीधा हस्तक्षेप नहीं होता जिला खेल अधिकारी जिम्मेदार होते है। बाद में ऑडिट भी होता है।
विनोद प्रधान, तात्कालीन उप संचालक खेल विभाग

होटल संचालक ने विभिन्न जगहों पर खिलाडिय़ों के ठहरने का इंतजाम किया था। नियमानुसार प्रतियोगिता करवाकर हिसाब महाकोष एंव लेखा से ऑडिट करवाया था। आरोप झूठे हंै। किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हूं।
रीना चौहान, तात्कालीन जिला खेल अधिकारी

प्रतियोगिता के समय मे यहां पदस्थ नहीं थी। अभी मामला सामने आया नहीं है। जानकारी निकालकर बता पाऊंगी।
रूबीका दीवान, जिला खेल अधिकारी

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