बिना शिक्षक, संसाधन के टॉप-100 की दौड़ में विक्रम ?

उज्जैन. केंद्रीय मानव संसाधन विभाग की तरफ से देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों को एनआईआरएफ रैंक (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रैकिंग फेमवर्क) प्रदान की जा रही है। इसके लिए विश्वविद्यालय से जानकारी मांगी गई है। विक्रम विवि भी टॉप १०० संस्थान में शामिल होने के लिए आवेदन कर रहा है, लेकिन बिना शिक्षक और सुविधाओं के टॉप १०० की दौड़ के लिए विक्रम विवि के प्रयासों के साथ रैंकिंग की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रही है। विक्रम विवि में २९ संस्थान और विभाग संचालित हैं। इन में से किसी में भी पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। बिना शिक्षक कैसे पढ़ाई हो रही है, इसका जवाब रैंक के लिए आवेदन करने वालों के पास भी नहीं है। इधर, लैब, लाइब्रेरी व अन्य सुविधा की बात करें तो विवि प्रशासन ने करोड़ों रुपए का बजट खर्च कर दिया है, लेकिन धरातल पर सुविधा नहीं हैं।

प्लेसमेंट नहीं
विक्रम विवि के दस्तावेजों में प्लेसमेंट को लेकर भी आंकड़ा काफी मजबूत बनाया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। एमबीए विभाग व इंजीनियरिंग के अलावा कहीं से भी विद्यार्थियों को प्लेसमेंट नहीं मिल रहा है। यह विद्यार्थी भी अपने मूल काम को छोड़कर अन्य कंपनी में सेवा के लिए चुने जा रहे हैं। विक्रम कैम्पस में सालों से किसी भी कंपनी ने कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया है।

विक्रम की स्थिति
इंजीनियरिंग संस्थान ४ कोर्स शिक्षक शून्य
वाणिज्य विभाग ३ कोर्स एक शिक्षक
संस्कृत, वेद, ज्योतिर्विज्ञान – ३ कोर्स – १-१ शिक्षक बॉटनी – १ कोर्स – १ शिक्षक
समाजशास्त्र – दो कोर्स – २ शिक्षक अर्थशास्त्र – २ कोर्स – ३ शिक्षक

विवि कैम्पस में कैंटीन तक नहीं
विवि टॉप १०० में आने के सपने देख रहा है, लेकिन कैंटीन का रिकॉर्ड देखा जाए तो विक्रम विवि देश में इकलौता विवि होगा, जहां के कैम्पस में कैंटीन की व्यवस्था नहीं है। नैक के निरीक्षण में कॉलेज तक को कैंटीन की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है, लेकिन विक्रम विवि एेसी कई मूलभूत सुविधा नहीं है। इसके अलावा सुरक्षा भी कैम्पस में बढ़ा मुद्दा रहा है।

संसाधनों की भी कमी
रैंक के लिए टीचिंग एण्ड लर्निंग रिसोर्स, रिसर्च एण्ड प्रोफेशनल पार्ट, ग्रेज्युट्स आउटकम आदि बिंदुओं पर जानकारी विवि को परखा जाता है। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान शोध और विद्यार्थियों के निर्माण पर है। विवि में शोध विषय है काफी पीछे छूट गया है। नए शोध केंद्र शुरू नहीं हुए। कई विषयों में शोधकार्य बंद हो गया। शोध पर्यवेक्षकों की संख्या घट गई। इसमें मुख्य लाइब्रेरी और लैब है। इससे विद्यार्थियों को व्यवहारिक शोध के लिए पर्याप्त अवसर भी नहीं मिल रहे हैं।

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