बदली महाकाल की दिनचर्या : महाकाल के शीश अविरल जलधारा

उज्जैन | ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से राजाधिराज महाकाल की दिनचर्या बदल गई है। मंदिर की परंपरा अनुसार वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से तेज गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। गर्मी में भगवान को शीतलता प्रदान करने के लिए उनके शीश गलंतिका बांधने की शुरुआत हुई। 11 मिट्टी के कलश से भगवान पर अविरल जलधारा प्रवाहित की जाएगी।

पं. महेश पुजारी ने बताया धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान शंकर ने विषपान किया था। गर्मी में विष की ऊष्णता और भी बढ़ जाती है, इसलिए इस मौसम में भगवान को शीतलता प्रदान करने के लिए 11 मिट्टी के कलश की गलंतिका बांधी जाती है। इसके द्वारा भगवान के शीश पर सुबह 6 से शाम को 4 बजे तक जलधारा प्रवाहित की जाती रहेगी।

दो ज्येष्ठ, इसलिए तीन माह बंधेगी गलंतिका

पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया महाकाल में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ण पूर्णिमा तक दो माह गलंतिका बांधने की परंपरा है, लेकिन वर्षों बाद इस बार ज्येष्ठ अधिकमास के रूप में आ रहा है, इसलिए इस बार तीन माह गलंतिका बांधी जाएगी। 1 अप्रैल से शुरु हुआ गलंतिका बांधने का सिलसिला 28 जून तक चलेगा।

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