महाकाल मंदिर-गर्भगृह में प्रवेश पर लग सकती है रोक !

उज्जैन | विश्वप्रसिद्ध महाकाल ज्योतिर्लिंग क्षरण मामले की गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रखा है, जिसका सभी को इंतजार है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया की पूजन परंपरा आदि में वह दखल नहीं देगी। चिंता केवल शिवलिंग को सुरक्षित रखने की है। इधर सुनवाई पूरी होने के बाद मंदिर में कई तरह की चर्चा है। बताया जा रहा है कि गर्भगृह में प्रवेश पर रोक अथवा श्रद्धालुओं की संख्या बेहद सीमित की जा सकती है।

बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले शिवलिंग क्षरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सारिका गुरु ने याचिका दायर की थी। इस पर कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी बनाकर जांच के निर्देश दिए थे। कमेटी ने उज्जैन आकर शिवलिंग का परीक्षण भी किया था। बाद में क्षरण रोकने के लिए कमेटी ने सुझाव दिए थे। इसमें शिवलिंग का आरओ जल से अभिषेक, भस्मारती के दौरान ज्योतिर्लिंग पर पकड़ा ढंकने, पंचामृत में शकर की बजाय खांडसारी की उपयोग करने, बड़े हारफूल-माला नहीं चढ़ाने और शाम को सूखी पूजा करने और गर्भगृह का तापमान नियंत्रित रखने के सुझाव शामिल थे। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति इसमें से अधिकांश सुझावों पर अमल कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश बता दिए थे

मंदिर प्रबंध समिति ने एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जोड़ दिया था। इस संबंध में मंदिर में बोर्ड भी लगा दिए थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर प्रबंध समिति को फटकार लगाई थी और बोर्ड हटाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ताबड़तोड़ यह बोर्ड हटाए गए थे।

केस के बाद मंदिर में ये हुए बदलाव

-ज्योतिर्लिंग का आरओ जल से अभिषेक करने के लिए वाटर प्लांट लगा।

-पंचामृत में खांडसारी शकर का उपयोग होने लगा।

-भस्मारती के दौरान ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढंका जाने लगा। हालांकि इसे लेकर विवाद भी हुए।

-बड़े हारफूल-माला पर सख्ती की गई।

-भीड़ बढ़ने पर गर्भगृह में प्रवेश पर लगाई जा रही रोक।

ये नहीं हो पाया

एक्सपर्ट कमेटी का सुझाव था कि मंदिर में नवनिर्माण से पहले हेरिटेज सेल बनाकर राय ली जाए। मगर ऐसा नहीं हो सका। मंदिर में अभी तक हेरिटेज सेल का गठन नहीं हुआ है। मंदिर समिति गर्भगृह का मार्बल बदलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए एक दानदाता ने मार्बल भी भेज दिया है।

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