संपत्तिकर वसूली में पिछले वर्ष से आगे निकला उज्जैन नगर निगम

उज्जैन | नगर निगम ने पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार संपत्तिकर वसूली तीन करोड़ रुपये से अधिक की है। अधिकारी इसके पीछे कारण बताते हैं कि वसूली की व्यवस्था कम्प्यूटराईज्ड होने के कारण लोगों को बार-बार जोनों के चक्कर नहीं काटना पड़ते और इससे भ्रष्टाचार की संभावना पर भी विराम लगा है।
पूर्व में लोगों को नगर निगम में संपत्ति कर जमा कराना होता था तो पहले जोन कार्यालय से फार्म खरीदकर अपने मकान-प्लाट, भवन निर्माण का क्षेत्रफल उस पर लगने वाले टैक्स की गणना आदि में परेशान होना पड़ता था। कम पढ़े लिखे लोग तो इसकी जानकारी फार्म में भर तक नहीं पाते थे। उसके बाद बाबुओं के चक्कर लगाना और संपत्ति कर के साथ अन्य टैक्सों की जानकारी लेने के बाद काफी मशक्कत लोगों को करना पड़ती थी लेकिन नगर निगम के झोन कार्यालयों में संपत्ति कर वसूली की व्यवस्था कम्प्यूटराईज्ड कर दी गई है। व्यक्ति को सिर्फ अपने मकान की जानकारी लेकर यहां मौजूद कर्मचारी को बताना होता है उसके बाद संपत्ति की गणना के साथ अन्य टैक्स की गणना कम्प्यूटर द्वारा हो जाती है।

व्यक्ति को पांच से 10 मिनिट के अंदर कितने रुपये जमा कराना हैं कर्मचारी बता देता है और आसानी से कम समय में संपत्ति कर जमा हो जाता है। पारदर्शी कम्प्यूटराईज्ड व्यवस्था का ही परिणाम रहा कि इस बार निगम ने पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 3 करोड़ रुपये अधिक संपत्ति कर वसूली की है। नगर निगम ने पिछले वर्ष 15 करोड़ रुपये संपत्ति कर वसूला था जबकि इस वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 17 करोड़ 70 लाख को पार कर गया है। हालांकि अभी गणना पूरी तरह नहीं हुई है और इसे फायनल होने तक यह राशि 3 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है।

घर बैठे भी भर सकते हैं संपत्ति व अन्य कर
नगर निगम ने एमपी ई-नगर पालिका पोर्टल से संपत्ति कर सहित अन्य कर को भी जोड़ दिया है। इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोग अब घर बैठे उक्त एप के माध्यम से घर बैठे संपत्ति कर जमा कर सकते हैं। पहली बार एप का उपयोग करने पर एक बार रजिस्ट्रेशन कराने के साथ संपत्ति की जानकारी भरना होती है जिसके बाद व्यक्ति घर बैठे एप की मदद से नगर निगम के टैक्स जमा कर सकता है। एप में संपत्ति कर के साथ ही यूजर चार्जेस, समेकित कर का आप्शन भी है जिसकी गणना के बाद कितनी राशि भरना है उसकी जानकारी भी मिल जाती है।

भ्रष्टाचार हुआ कम
पूर्व में मैन्युअल संपत्ति कर जमा होने के दौरान संबंधित इंस्पेक्टर या बाबू संपत्ति की गलत गणना कर या फिर खुली भूमि या निर्माणाधीन भवन के क्षेत्रफल को कम ज्यादा दर्शा कर भ्रष्टाचार करते थे। यही नहीं कई बार संपत्ति कर जमा हो जाने के बाद भी उसकी पोस्टिंग रजिस्टर में दर्ज नहीं होती थी। व्यक्ति जब दूसरे वर्ष संपत्ति कर भरने जाता तो उसे पिछला बकाया बताया जाता था और विरोध करने पर व्यक्ति से वही कर्मचारी पुरानी रसीद की मांग भी करता था, लेकिन अब पूरा सिस्टम कम्प्यूटराईज्ड होने से भ्रष्टाचार की आशंका भी कम हो गई है।

इनका है कहना
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष संपत्ति कर वसूली दुगनी करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वह तो पूरा नहीं हो पाया है, हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष नगर निगम द्वारा लगभग 3 करोड़ रुपये की अधिक वसूली की गई है। इसके पीछे सिस्टम का कम्प्यूटराईज्ड होना प्रमुख कारण है।
योगेन्द्र पटेल, उपायुक्त नगर निगम

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