जनसहयोग से बना पहला स्वीमिंग पूल पूरी तरह है नि:शुल्क

उज्जैन | पुराने शहर में जनसहयोग से बना पहला स्वीमिंग पूल गर्मी के दिनों में सैकड़ों लोगों को आनंद दे रहा है। देसी तरीके से बने इस स्वीमिंग पूल में तैराकी के लिए करीब १६०० लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है जो अलग-अलग पाली में यहां तैरने आते हैं। खास बात यह कि पूरी तरह नि:शुल्क होने के कारण आसपास ही नहीं दूर क्षेत्रों से भी बच्चे व युवा यहां पहुंच रहे हैं।

नगर निगम अध्यक्ष सोनू गेहलोत और उनकी टीम ने जनसहयोग से दो महीने पहले रामजनार्दन मंदिर के नजदीक जमीन खोद छोटा स्वीमिंग पूल तैयार किया था। देशी तरीके से बने इस स्वीमिंग पूल में पानी की व्यवस्था आसपास के बोरिंग से की जा रही है। स्वीमिंग पूल शुरू होते ही आसपास के सैकड़ों लोगों ने इसका लाभ लेना शुरू कर दिया है। सुचारू व्यवस्था के लिए गेहलोत व टीम द्वारा बकायदा शिफ्ट बनाकर रजिस्ट्रेशन किए गए हैं और यहां आने वालों को रजिस्ट्रेशन कार्ड भी दिए हैं। कार्ड के आधार पर ही स्वीमिंग पूल में प्रवेश होता है। स्वीमिंग पूल की गहराई तीन से चार फीट होने के कारण डूबने का खतरा भी काफी कम है।

महिलाओं की अलग शिफ्ट

जनभागीदारी से बने देशी स्वीमिंग पूल में प्रतिदिन ३०-३० मिनट की १२ शिफ्ट रखी गई हैं। इनके अलावा दो शिफ्ट महिलाओं के लिए भी आरक्षित है।

सुरक्षित माहौल में सीख रहे तैरना

भगवानदास मरोठिया ने बताया मैं पोते व आसपास के बच्चों को लेकर रोज यहां आता हूं। बच्चों के लिए एक बड़ी सुविधा उपलब्ध हो गई है। सुरक्षित माहौल में नि:शुल्क तैरना सीख रहे हैं।
पुराने शहर के लोग वंचित थे

स्वाति खत्री ने कहा स्वीमिंग पूल से पुराने शहर के लोग अब तक वंचित थे। किसी को इसका लाभ लेना हो तो देवासरोड जाना पड़ता था। यहां यह सुविधा मिलने से कई लोगों को लाभान्वित हुए हैं।

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