फर्जी पट्टों से सरकारी जमीन हथियाने का खेल, तीन चौंकाने वाले पट्टे पकड़ाए

उज्जैन | फर्जी पट्टों के आधार पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का गोरखधंधा शहर में पैर पसार चुका है। प्रशासन ने तीन ऐसे पट्टे पकड़े हैं, जो जारी ही नहीं किए गए। यह चौंकाने वाला खुलासा हाल ही में उस समय हुआ, जब सरकारी जमीन खाली करने के लिए प्रशासन व नगर निगम की टीम अतिक्रमण हटाने पहुंची। अतिक्रमण करने वालों ने पट्टे होने का दावा किया। इनकी जांच हुई तो ये फर्जी पाए गए।

प्रशासन की पकड़ में फिलहाल तीन फर्जी पट्टे पकड़ में आए हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस तरह कई लोगों को पट्टे जारी कर दिए गए हैं। एसडीएम शिजित शर्मा ने नगर निगम में प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रभारी सहायक यंत्री को पत्र लिखकर बताया है कि तीन पट्टे उनके न्यायालय से जारी ही नहीं किए गए, जबकि ये हूबहू एसडीएम न्यायालय से जारी होने जैसे ही दिखाई दे रहे थे। जांच में पाया गया कि ये नकली पट्टे हैं। सूत्रों के मुताबिक एसडीएम ने 11 जून को नगर निगम प्रशासन को पत्र जारी कर इसकी विधिवत सूचना दे दी है, लेकिन पट्टों के आधार पर किए गए अतिक्रमण अब तक हटाए नहीं जा सके हैं।

आखिर कौन कर रहा कारस्तानी?

प्रशासन की पकड़ में जो तीन पट्टे आए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले और पट्टों की जांच की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ये नकली पट्टे देखने में एकदम असली जैसे दिखाई देते हैं। एसडीएम की सील और हस्ताक्षर भी हैं। इतना ही नहीं उस पर प्रकरण क्रमांक भी दर्ज किए गए हैं। इससे यह आशंका खड़ी हो रही है कि फर्जी पट्टे बनाने वाला कोई गिरोह सक्रिय है, जिसकी घुसपैठ पट्टे जारी करने की प्रक्रिया पर भी है। आसानी से इनको कोई पकड़ नहीं सकता। प्रशासन को यह पता लगाना चाहिए कि इस तरह फर्जी पट्टे जारी करने की कारस्तानी आखिर कौन कर रहा है।

कड़ी कार्रवाई के लिए नहीं उठे कदम

तीन फर्जी पट्टे पकड़ने के बाद इस मामले की तह में जाने की जरूरत है, क्योंकि इससे कई खुलासे हो सकते हैं। दूसरी ओर प्रशासन की तरफ से तीन फर्जी पट्टाधारकों से पूछताछ कर पुलिस प्रकरण दर्ज कराने जैसी कड़ी कार्रवाई भी नहीं की गई। एसडीएम द्वारा नगर निगम को लिखे पत्र में कहा गया है कि न्यायालय द्वारा वर्ष 2007-08 व 2008-098 में बी-121 मद में उक्त प्रकरण दर्ज होना नहीं पाए गए। सूचनार्थ। इन तीन लोगों के मार्फत फर्जी पट्टा जारी करने वाले गिरोह तक पहुंचा जा सकता है। प्रशासन को जारी पट्टों की भी जांच करनी चाहिए कि और ऐसे प्रकरण तो नहीं।

 

ये तीन फर्जी पट्टे

– धर्मेंद्र पिता ताराचंद श्रीवास, निवासी राजीव गांधी नगर, दमदमा को 450 वर्गफीट का पट्टा जारी किया गया। 2008 में इसे जारी करना बताया गया है। उत्तर में खाली भूमि, दक्षिण में तोलाराम का मकान, पूर्व में शासकीय भूमि और पश्चिम में रास्ता बताया है।

– तोलाराम पिता नागूलाल मालवीय, निवासी राजीव गांधी नगर, दमदमा को भी 450 वर्गफीट का पट्टा जारी किया है। इसमें उत्तर में कमल का मकान, दक्षिण में ठाकुरलाल का मकान, पूर्व में खाली जमीन तथा पश्चिम में रास्ता बताया है। इसे भी 2008 में जारी करना अंकित किया है।

– कमल पिता मुन्नालाल मालवीय, निवासी राजीव गांधी नगर, दमदमा को भी 450 वर्गफीट का पट्टा जारी किया गया। उत्तर में धर्मेंद्र के नाम का उल्लेख है। दक्षिण में तोलाराम, पूर्व में खाली भूमि व पश्चिम में रास्ता होने की जानकारी दी है। इसे भी 2008 में जारी करना प्रदर्शित किया है।

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