अरणी यंत्र के मंथन से प्रज्ज्वलित हुई अग्नि

उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में लाल पत्थरों से निर्मित यज्ञ शाला का शुभारंभ संभागायुक्त, आईजी की मौजूदगी में हुआ। यहां वेदपाठी विद्वानों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ अरणी यंत्र के मंथन से प्रज्जवलित हुई अग्नि को हवन कुण्ड में डालकर विधि विधान से इसका शुभारंभ किया गया।
महाकाल मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरू की प्रेरणा से इफ्को के संचालक रमाकांत भार्गव द्वारा करीब 36 लाख रुपये की दानराशि से यूडीए द्वारा से नवीन यज्ञशाला का निर्माण किया गया है। यहां पर पूर्व में लकड़ी की यज्ञशाला थी और उसी डिजाइन में लाल पत्थरों से नवीन यज्ञशाला का निर्माण कराया गया है।

यज्ञशाला का शुभारंभ प्रमुख यजमान इफको संचालक रमाकांत भार्गव की मौजूदगी में हुआ। इस दौरान मंदिर प्रबंध समिति सदस्य विभाष उपाध्याय, जगदीश शुक्ला, प्रशासक अभिषेक शर्मा, पुजारी घनश्याम शर्मा, पुजारी आशीष शर्मा सहित वेदपाठी पंडित, पुरोहित भी मौजूद थे। सुबह 8.45 बजे शुभ मुहूर्त में यज्ञशाला लोकार्पण के साथ पूजन विधान प्रारंभ हुआ। संभागायुक्त एम.बी. ओझा, आईडी राकेश गुप्ता नवनिर्मित यज्ञशाला शुभारंभ अवसर पर यहां पहुंचे और पूजन दर्शन किये।

पवित्र अग्नि की प्रज्जवलित
प्रमुख यजमान सहित पंडितों व पुजारियों ने मिलकर यज्ञशाला में अरणी यंत्र का मंथन किया। वेद मंत्रोच्चार के बीच मंथन के साथ ही पवित्र अग्नि प्रज्जवलित हुई जिसे यज्ञ कुण्ड की परिक्रमा के बाद कुण्ड में डालाकर अन्य पूजन सामग्री से आहूतियां दी गईं।

महारूद्र का आर्वतन
पीआरओ गौरी जोशी ने बताया कि विद्वान पंडितों द्वारा महारूद्र का 21 आर्वतन लगातार किया जाना है जो करीब शाम 4 बजे तक चलेगा।

यह होगा फायदा
वर्तमान में महाकाल मंदिर परिसर में अलग-अलग मंदिर विद्यमान हैं जहां पर पंडितों, पुजारियों द्वारा पूजन के अलावा यज्ञ भी किये जाते हैं। नवीन यज्ञशाला निर्माण और यहां 5 हवन कुण्ड होने से अब एक ही स्थान पर हवन किये जा सकेंगे।

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