संतों और पुजारियों ने कहा – उज्जैन में भी प्रतिबंधित हो मांस और मदिरा

उज्जैन। उप्र सरकार ने फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या कर दिया है और अब योगी सरकार अयोध्या को मांस मदिरा से मुक्त करने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा को भी मांस मदिरा से मुक्त करने का यूपी सरकार ने निर्णय लिया है। यूपी सरकार द्वारा यह निर्णय संतों की मांग पर लिया है। और इससे साधु संतों में काफी हर्ष है। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन की गिनती धार्मिक नगरों में की जाती है। देश के बारह ज्योर्तिलिंगों में महाकालेश्वर भी शामिल हैं। यहां पर दर्शन करने देशभर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। उज्जैन को मांस मदिरा से मुक्त कराने की मांग वर्षों से की जा रही है लेकिन अभी तक प्रदेश की सरकार इस पर रोक नहीं लगा पाई है। चुने गए जनप्रतिनिधि बड़ी बड़ी बातें तो करते हैं लेकिन उसके बाद इस मुद्दे पर चुप्पी साध लेते हैं। उज्जैन को मांस मदिरा से मुक्त करवाने की बात को लेकर शहर के जागरूक लोगों से चर्चा की गई तो उन्होंने अपनी बात इस प्रकार रखी।

वाल्मीकि धाम के संस्थापक बालयोगी उमेशनाथजी महाराज ने कहा मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने यह सराहनीय निर्णय लिया है। देश की सातपुरियों में से उज्जैर भी एक पुरी है। प्रदेश की सरकार को धार्मिक नगरों में मांस-मदिरा की बिक्री पर रोक लगाने का तत्काल निर्णय लेना चाहिए। काफी समय से ऐसी मांग उठती रही है लेकिन अभी तक उज्जैन को इससे मुक्त नहीं किया जा सका है।

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पं. दिनेश गुरु का कहना है कि बाबा महाकाल की नगरी को मांस मदिरा से मुक्त किया जाना चाहिए। इससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के बीच अच्छा संदेश जाएगा। शहर से एक दो किमी बाहर ऐसी दुकानों को स्थापित कर दिया जाए जिससे दूसरे लोगों को भी कोई दिक्कत नहीं होगी।

विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष अनिल कासलीवाल का कहना है कि विहिप वर्षों से इस बात की मांग करती आई है कि उज्जैन में मांस मदिरा की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए लेकिन राजस्व बढ़ाने की दृष्टि से सरकार मदिरा की दुकानों पर रोक नहीं लगा पा रही है। उज्जैन की गिनती देश के प्रमुख धार्मिक नगरों में की जाती है लेकिन जो भी सरकार बनती है वह अभी तक मांस मदिरा की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगा पाई है। उज्जैन को स्मार्ट सिटी तो घोषित कर दिया है जबकि इसे धार्मिक नगरी घोषित कर मांस मदिरा की बिक्री पर सख्ती से रोक लगाई जाए।

श्री क्षेत्र पंडा समिति के अध्यक्ष पं. राजेश त्रिवेदी का कहना है कि धार्मिक नगरी में मर्यादाओं का पालन होना चाहिए। जो जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं उनके मन में भी ऐसा विचार हो जिससे मांस मदिरा की बिक्री पर रोक लग सके। जो लोग ऐसे व्यवसाय से जुड़े हैं उनसे चर्चा करके इस मुद्दे का हल व्यवस्थित रूप से निकाला जा सकता है।

ज्योतिषाचार्य पं. रवि व्यास के मुताबिक उज्जैन में अभी तक मांस मदिरा की बिक्री पर रोक नहीं लग पाई है जबकि उप्र की सरकार ने मथुरा एवं अयोध्या में दोनों चीजों की बिक्री पर रोक लगाने का सराहनीय निर्णय लिया है। महाकाल मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में भी वर्षों से मांस की बिक्री होती है लेकिन प्रदेश की सरकार अभी तक रोक नहीं लगा पाई है। जबकि दूसरी चीजों पर आसानी से रोक लगा दी जाती है।

महाकाल शयन आरती भक्त मंडल के अध्यक्ष महेंद्र कटियार का कहना है मप्र शासन को अब उप्र सरकार की तर्ज पर उज्जैन सहित प्रदेश के अन्य धार्मिक शहरों में मंास मदिरा की बिक्री पर रोक लगाने की जरूरत है। कहने को तो उज्जैन धार्मिक नगरी है लेकिन वर्षों से मांग होने के बावजूद भी मांस मदिरा पर प्रतिबंध नहीं लग पाया है।

सतत रूप से रहे प्रयासरत
बैकुंठवासी संत प्रतीतराम रामस्नेही उज्जैन को धार्मिक नगरी घोषित किए जाने की मांग को लेकर वर्षों तक प्रयासरत रहे। वह प्रेसनोट लेकर स्वयं समाचार पत्रों के कार्यालयों में जाते थे। इसके अलावा उन्होंने हजारों पत्र में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों एवं अधिकारियों तक पहुंचाए । संत प्रतीतराम रामस्नेही का अनुसरण करते हुए कुछ संगठन उनके बताए मार्ग पर चलते हुए उज्जैन को धार्मिक नगरी बनाए जाने के साथ उज्जैन को मांस मदिरा से मुक्त किए जाने की मांग कर रहे हैं।

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