लोकसभा चुनाव… टिकट के लिए भाजपा में जोर आजमाइश

जिसने चुनाव में नहीं चखी हार, वही उम्मीदवार

उज्जैन। लोकसभा में उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र से सही उम्मीदवार कौन होगा शायद अभी बीजेपी ने तय नहीं किया है लेकिन जिले के आधा दर्जन से अधिक नेता दावेदारी करने के लिए जमीन-आसमान एक करने में लग गए है।

उम्मीदवारों में से कुछ महत्वपूर्ण पदों पर बने हुए हैं तो कुछ अपनी तपस्या और आकाओं के भरोसे टिकट मिलने की उम्मीद जता रहे हैं। हालांकि वर्तमान मेंं देखा जाएं तो टिकट सिर्फ जातिगत वोटरों में भारी पढऩे वाले को ही मिलने की प्रबल संभावना है।

सूत्रों के अनुसार प्रदेश में सरकार जाने के बाद भाजपा लोकसभा में काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। यही वजह है कि सांसद डॉ. चिंतामणि मालवीय, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत, पूर्व मंत्री व राज्यसभा सदस्य डॉ. सत्यनारायण जटिया जैसे कद्दावर नेताओं के बाद भी नए विकल्प पर जोर दिया जा रहा है।

ऐसे चेहरे को प्राथमिकता दिए जाने की चर्चा है जिसने हार नहीं देखी हो। इस मापदंड से घट्टिया के पूर्व विधायक सतीश मालवीय का दांव लग सकता है। वहीं पूर्व विधायक अनिल फिरोजिया भी दौड़ में बने हैं। सूत्रों का कहना है अगर परिवर्तन किया जाता तो इन दोनों में से किसी को मौका मिल सकता है।

जातिगत वोट से सिर्फ मालवीय 
सूत्रों का कहना है कि प्रत्याशी चयन में जातिगत आधार महत्वपूर्ण रहेगा। ऐसी स्थिति में मालवीय समाज का दोवेदार ही सबसे आगे होगा। वजह है कि संसदीय क्षेत्र में मालवीय समाज के करीब ढाई लाख वोटर हंै। इसीलिए कांग्रेस भी संभवत: पुन: बाबूलाल मालवीय पर ही विचार कर रही है। ऐसी स्थिति में डॉ. चिंतामणि और सतीश की स्थिति मजबूत होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस से आने वालों को ‘नो
संगठन पदाधिकारियों की मानें तो भाजपा में कांग्रेस से आए नेताओं को आसानी से मौका नहीं दिया जाता। यही वजह है देवास-शाजापुर में गेहलोत के खिलाफ कांगे्रस से लड़े श्याम मालवीय बाद में भाजपा में आ गए थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दी गई। शिवलाल बौड़ाना की भी ऐसी ही स्थिति रही। ऐसे में प्रेमचंद गुड्डू भले ही दावेदारी कर रहे हो लेकिन टिकट मिलना आसान नहीं है।

कौन और क्यों दावेदार

डॉ. चिंतामणि मालवीय: वर्तमान सांसद होने से संगठन में उपरी स्तर तक जीवंत संबंध, आर्थिक रूप से मजबूत, दावेदारों में सर्वाधिक शिक्षित, जातिगत आधार।
थावरचंद गेहलोत- शिक्षित हैं, केंद्रीय मंत्री होने से पार्टी में मजबूत स्थिति, संगठन में प्रभावी स्थिति, समीप के जिले से भी सांसद रहे, विरोध की संभावना नहीं।
डॉ. सत्यनारायण जटिया: कवि की छवि, पूर्व में करीब आधा दर्जन जीत कर सांसद बने, वर्तमान राज्यसभा सदस्य होने से टॉप लेवल पर संबंध, मजबूत आर्थिक स्थिति।
सतीश मालवीय: अजा मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव होने का लाभ, पिता स्व. नागूलाल मालवीय दो बार विधायक रहे, वर्ष २०१३ में जीतकर विधायक बने।

अनिल फिरोजिया: राजनैतिक पृष्ठभूमि, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास, संघ और संगठन में अच्छी पकड़, सरल व्यक्तित्व की छवि, पूर्व में तराना के विधायक रहे।

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