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कोर्ट से मिली राहत:एसिड अटैक से नर्स की हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने तीन माह से जेल में बंद एसिड विक्रेता को जमानत दी

बीते साल चार नवंबर को नर्स सुनीता की एसिड हमले में हुई मौत के मामले में हाईकोर्ट ने एसिड विक्रेता नाजिम को हत्या और एसिड अटैक का आरोपी नहीं मानते हुए जमानत मंजूर कर ली। जबकि अदालत ने उसे विष अधिनियम के तहत आरोपी माना है। बचाव पक्ष के वकील वीरेंद्र शर्मा का तर्क था कि विष अधिनियम में अधिकतम तीन माह की सजा का प्रावधान है और वह तीन माह से अधिक समय जेल में बिता चुका है।
इसी तर्क पर उच्च न्यायालय ने आरोपी नाजिम को जमानत दे दी। वकील शर्मा का कहना था कि लक्ष्मी केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देशभर की राज्य सरकारों ने एसिड बेचने के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता कर दी थी। इसे विष अधिनियम कहा गया है। शर्मा का तर्क था कि उनके मुवक्किल नाजिम ने नगर निगम में पिता के नाम से लाइसेंस के लिए आवेदन किया था।
चूंकि विष अधिनियम में अधिकतम सजा तीन माह ही है, जबकि उनका मुवक्किल तीन माह से अधिक का समय जेल में बिता चुका है। इसलिए उसे जमानत दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने इस तर्क से सहमति जताते हुए आरोपी नाजिम को जमानत दे दी।
कोर्ट में यह तर्क दिया
वकील ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि नाजिम मुख्य आरोपी मुकेश शर्मा को पहले से जानता व पहचानता था। चूंकि मुकेश दूध के व्यवसाय से जुड़ा था और फैट चेक करने के लिए उनके मुवक्किल नाजिम से एसिड अक्सर ले जाता था। नाजिम को यह नहीं पता था कि मुकेश एसिड का प्रयोग दूध में फैट की प्रतिशत जानने के बजाए किसी की जान लेने के लिए करेगा।
वकील शर्मा ने यह भी तर्क दिया कि नाजिम ने पुलिस की जांच में सहयोग करते हुए दुकान पर लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज भी मुहैया कराए थे। इन्हीं तर्कों के आधार पर हाईकोर्ट ने नाजिम को हत्या और एसिड अटैक का आरोपी नहीं माना। लेकिन बिना लाइसेंस के एसिड बेचने यानि विष अधिनियम के तहत आरोपी माना है।