- बाबा महाकाल की शरण में पहुंची प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धर्मपत्नी जशोदा बेन, भोग आरती के बाद गर्भगृह की देहरी से पूजा-अर्चना की।
- भस्म आरती: रौद्र रूप में सजे बाबा महाकाल, धारण किया शेषनाग का रजत मुकुट, रजत मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगन्धित फूलों की माला
- बाबा महाकाल की शरण में पहुंचे प्रतिभाशाली गेंदबाज आकाश मधवाल, गर्भगृह की देहरी से की बाबा महाकाल की पूजा-अर्चना
- भस्म आरती: मस्तक पर त्रिपुण्ड, भांग, चन्दन और चंद्र से राजा स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, धारण की गुलाब के सुगंधित पुष्पों से बनी माला
- भस्म आरती में शामिल होकर क्रिकेट जगत के सितारों ने लिया बाबा महाकाल का आशीर्वाद, करीब दो घंटे तक नंदी हॉल में बैठकर की भगवान की आराधना
छुट्टियों की छुट्टी….चली योगी आदित्यनाथ की बुद्धि…।
किसी भी सरकार के निर्णयों में यदि कमियां या विसंगतियां होती है तो हम मिडिया वाले सरकार की बखियां उखाड़ने मे कोई कसर नहीं छोड़ते।लेकिन सरकार के अच्छे निर्णयों या कार्यों की खुल कर प्रशंसा करने में कंजूसी कर जातें हैं।शायद इसलिए कि ऐसा करने से उन्हें सरकार का पिट्ठू न समझ लिया जाय।लेकिन मेरा मत यह है कि अगर हम सरकार के बुरे कार्यों की खुल कर आलोचना करते हैं तो अच्छे कार्यों की खुल कर प्रशंसा करने का साहस भी करना चाहिए। यही निष्पक्ष पत्रकारिता है
उ.प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में आते ही प्रदेश में सुधार व बदलाव के लिए कड़े निर्णयों की जो श्रंखला चलाई है वह काबिले तारीफ है।
अवैध बूचड़खाने बन्द करा दिए,एंटी रोमियो मुहीम चलाई तीन तलाक का मुद्दा,सरकारी दफ्तरों में सफाई अभियान,सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करने गुटका थूकने पर प्रतिबन्ध, सरकारी दफ्तरों का समय पर खुलना, सरकारी शिक्षकों की प्रायवेट ट्यूशन पर रोक,मंत्रियों की क्लास और भी तत्काल के निर्णयों में मुझे तो कोई बुराई नहीं दिखती। यदि इन सबसे उ प्र की तस्वीर बदलती है तो भला किसे एतराज हो
सकता है।
योगी जी ने महापुरुषों की जयन्तियों पर होने वाली छुट्टियो की छुट्टी कर दी,इस के पीछे उनकी जो बुद्धि चली वह तर्क संगत है। उप्र में ही नही देश के लगभग सभी प्रदेशों में महापुरुषों के जन्मदिन पर शासकीय अवकाश घोषित रहते हैं। उन महापुरुषों का जीवन चरित्र उनके सिद्धांत उनके द्वारा किये गए कार्यो का गुणानुवाद तो दूर हो गए उनका जन्मदिम छुट्टी का एन्जॉय घूमने फिरने व पिकनिक मनाने का दिन बन कर रह जातें हैं।नई पीढ़ी को देश के महापुरुषों के नाम सिर्फ इसलिए याद रहते हैं कि उस दिन स्कूलों की छुट्टी रहती है ।इससे ज्यादा कुछ नहीं। वास्तव में होना यही चाहिए कि महापुरुषों के जन्मदिन पर उनके महान कार्यों उनके जीवन चरित्र पर आधारित रचनात्मक आयोजन हो जिससे उनके जीवन से प्रेरणा ली जा सके । हमारे देश के महा पुरुषों ने इस खातिर देश के लिए त्याग व बलिदान नहीं दिया कि उनका जन्मदिन महज एक छुट्टी का दिन बन कर रह जाए।