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जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर कांग्रेस ने निशाना साधा

मामला विनोद मिल की चाल के विस्थापन का
मोती नगर के रहवासियों के लिए सहानुभूति से जोड़ कर सोशल मीडिया पर सवाल
उज्जैन।विनोद मिल की चाल के विस्थापन को लेकर सत्तारूढ निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की खामोशी पर कांग्रेस ने निशाना साधा है। कुछ समय पहले मोती नगर के रहवासियों को विस्थापित करने पर सहानुभूति दिखाने वाले नेताओं की विनोद मिल की चाल के निवासियों को हटाने के मसले में चुप्पी के लिए सोशल मीडिया पर सवाल खड़े किए है।
इंदौर रोड त्रिवेणी पर दो साल पहले न्यायालय के आदेश पर जिला प्रशासन ने शासकीय जमीन पर बने 103 मकानों को तोड कर भूमि को कब्जे से मुक्त कराया था। उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। कार्रवाई आलोचना करते हुए सांसद,विधायक ने सरकार को गरीब विरोधी करार दिया था।
अनिल फिरोजिया और मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर 17 जनवरी 2020 और 18 जनवरी 2020 को अलग-अलग पोस्ट अपलोड कर मोती नगर से मकानों को तोडऩे को कमलनाथ सरकार की बर्बरता बताकर रहवासियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की थी।
अब विनोद मिल की चाल से 170 मकानों को खाली कराए जाने पर कांग्रेस ने मोती नगर के रहवासियों के लिए सहानुभूति दिखाने वाले नेताओं पर निशाना साधा है।
कांग्रेस की आईटी सेल के डॉ.संचित शर्मा ने अनिल फिरोजिया ,मोहन यादव और पारस जैन की 2020 की पोस्ट को री-पोस्ट कर तीनों पर सवाल खड़े किए है और पुछा है कि इनमें से कोई इनके (विनोद मिल की चाल में) घरों को तोड़ते समय उपस्थित क्यों नहीं इनकी पीड़ा सुनने को..?
यह है मोती नगर का मामला
इंदौर रोड स्थित त्रिवेणी के पास पीडबल्यूडी ब्रिज निगम की जमीन थी जो उसे शिप्रा नदी पर पुल के विस्तारीकरण हेतु आवंटित की गई थी। पुल की डिजाइन में बदलाव की वजह से जमीन रिक्त पड़ी थी। कतिपय भूमाफियों ने कोडिय़ों के दाम बेच दिया था। इस पर 103 मकान बन गए थे। जिन्हें प्रशासन द्वारा न्यायालय के आदेश पर हटा गया था।
यह है कांग्रेस आईटी सेल की पोस्ट में
2 वर्ष पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान एक निजी याचिका पर हाईकोर्ट के निर्णय के कारण त्रिवेणी ब्रिज के पास की बस्ती मोतीनगर से रहवासियों को हटाया गया था।
उस समय, आज जो सत्ता में मंत्री, विधायक, सांसद हैं इन सबने वहां जाकर कांग्रेस सरकार को खूब कोसा था, जबकि कांग्रेस सरकार का उस केस और निर्णय से कोई संबंध ही नही था, फिर भी मानवीय आधार पर सरकार ने सभी को तत्काल भूखंड उपलब्ध करवाए थे।
आज जब विनोद मिल में 70 वर्षों से जो लोग निवास कर रहे थे, बिना उनके उचित विस्थापन प्रक्रिया के उनको इसी ठंड के समय हटाया जा रहा,जबकि विनोद मिल का पूरा मामला सीधे मप्र और केंद्र सरकार के नॉलेज का विषय रहा है, तब भी उन्ही जनप्रतिनिधियों में से कोई एक भी इन रहवासियों के साथ खड़ा नही हो रहा, आपके समक्ष इन जनप्रतिनिधियों के उस दिन घडिय़ाली आंसू रूपी पोस्ट मय प्रमाण दे रहा हूं। आज कोई जयपुर निकल गया, तो कोई भोपाल बैठक में तो कोई दिल्ली,आज इनमें से कोई इनके घरों को तोड़ते समय उपस्थित क्यो नही इनकी पीड़ा सुनने को।