नए प्रस्ताव के लिए सर्वे, जहां साधु नहीं ठहरे; वह जमीन सिंहस्थ क्षेत्र से हटेगी

प्रशासन ने सिंहस्थ 2028 की तैयारी शुरू कर दी है। सबसे पहले वह साधु-संतों के पंडालों के लिए प्लॉटिंग का प्रस्ताव बनाने में जुट गया है। इसके लिए सिंहस्थ 2004 और 2016 के भूमि आवंटन को आधार बनाया जा रहा है। अगले सिंहस्थ में कितनी जमीन की जरूरत होगी, किस क्षेत्र को सिंहस्थ के लिए आरक्षित किया जा सकता और वहां आवश्यक सुविधाओं की मौजूदा स्थिति क्या है, यह सब पता करने के लिए नए सिरे से सर्वे शुरू हो गया है। अगले सिंहस्थ को लेकर प्रशासन सबसे पहले अधिसूचित सिंहस्थ क्षेत्र का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। प्रस्तावित क्षेत्र को मंजूरी मिल जाती है तो वहां जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने की योजनाएं बनाने का काम शुरू होगा। इसके लिए पिछले दो सिंहस्थों के जमीन आवंटन के बस्ते खुलने लगे हैं। निगमायुक्त क्षितिज सिंघल के नेतृत्व में यह काम शुरू हो गया है। सिंघल ने इसके लिए एक समिति भी बना दी है।

इस समिति के माध्यम से यह काम आगे बढ़ेगा। समिति में पिछले सिंहस्थों में निगम, राजस्व और अन्य विभागों के भूमि आवंटन से संबंधित रहे अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मौजूदा अधिकारियों को भी शामिल किया जा रहा है। सिंघल ने इस पूरे मसले को समझने के लिए दो दिन तक 2004 व 2016 के भूमि आवंटन की स्थिति की पड़ताल की है। उनका कहना है कि पिछले सिंहस्थों में रहे अधिकांश कर्मचारी, अधिकारी या तो सेवा निवृत्त हो गए या स्थानांतरित हो गए हैं। उनकी मदद लेने पर भी विचार कर रहे हैं। गौरतलब है कि भास्कर ने 6 सिंतबर के अपने एनिवर्सरी अंक में सिंहस्थ 2028 की तैयारी अभी से शुरू करने का मुद्दा उठाया था। इसके लिए विशेषज्ञों की राय भी ली थी। उनका कहना था कि सिंहस्थ की तैयारी जल्दी शुरू होगी तो विकास और निर्माण के कामों की योजनाएं बनाने और उन्हें धरातल पर लाने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। एनवक्त पर जल्दबाजी में फैसले नहीं लेना पड़ेंगे।

 

कौन से क्षेत्र जो अधिसूचित लेकिन सूने रहे वहां साधु-संतों ने पंडाल क्यों नहीं लगाए

सिंहस्थ क्षेत्र के इस सर्वे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह देखी जाएगी कि जिन क्षेत्रों को अधिसूचित किया गया, वहां कितने पंडाल लगे और कितनी जमीन खाली रही। वहां प्लॉटिंग के बावजूद साधु-संतों या संस्थाओं ने पंडाल क्यों नहीं लगाए। क्या उनका उपयोग 2028 में हो सकता है, यदि नहीं हो सकता तो उसे अधिसूचित क्षेत्र से मुक्त किया जा सकता है। आगामी सिंहस्थ के लिए संभावित यात्रियों, सांधु-संतों, संस्थाओं और सेवा में लगने वाले विभागों के लिए नए क्षेत्र को अधिसूचित क्षेत्र में शामिल करने की संभावना भी तलाशी जाएगी। इसके आधार पर नया प्रस्ताव तैयार होगा। हालाकि सिंहस्थ 2016 के प्रतिवेदन में तत्कालीन कलेक्टर कवींद्र कियावत ने भी 2028 के लिए नया प्रस्ताव राज्य शासन को दिया था। उस प्रस्ताव पर अभी मंथन नहीं हुआ है। इसी के मद्देनजर नए प्रस्ताव की तैयारी की जा रही है।

 

डिजिटल गूगल मैप व अर्थ पर फिर लेअर वाइज सुविधाओं के नक्शे बनाए जाएंगे

सिंहस्थ 2016 की तैयारी में अत्याधुनिक सूचना प्रणाली और इंटरनेट का भरपूर उपयोग किया गया था। पूरे अधिसूचित सिंहस्थ क्षेत्र का डिजिटल मैप बनाया गया था।

इस मैप में हर सुविधा की अलग लेयर दी गई थी। इसका फायदा यह हुआ कि हर विभाग को अपने से संबंधित सुविधाओं और जिम्मेदारियों की जानकारी ऑनलाइन मोबाइल पर उपलब्ध हो गई। अधिकारियों व कर्मचारियों को काम करने में आसानी हुई। 2016 की यह इमेजेस की स्थिति क्या है, उन्हें कैसे रि-जनरेट करना होगा, इस पर भी मशक्कत हो रही है। 2028 के सिंहस्थ क्षेत्र को भी डिजिटल मैप पर ही लेयर वाइज तैयार किया जाएगा। सिंघल का कहना है कि जो समिति बनाई है, उसकी बैठक बुलाकर तेजी से काम शुरू करेंगे। इसके लिए अनुभवी अधिकारियों व कर्मचारियों की मदद भी ली जाएगी।

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