3 टेंडर, तीनों ही स्वीकार, 90 पैसे में एक दीपक

महाशिवरात्रि दीपोत्सव: दो मिलकर 5-5 लाख और एक व्यक्ति दो लाख दीप उपलब्ध कराएगा

इसलिए एफएसएसएआई मानक तेल का उपयोग

उज्जैन।महाशिवरात्रि पर 11लाख दीपोत्सव के लिए दीपक और तेल के टेंडर हो गए है। दीपक के लिए तीन निविदा आने पर तीनों को दीपक की उपलब्ध की संख्या के मान से स्वीकार कर लिया। इसमें दो व्यक्तियों ने 5-5 लाख और एक ने दो लाख दीप सप्लाय करने की सहमति दी।

एक दीपक की कीमत 90 पैसे तय हुई है। दीपक को लाने का भाड़ा भी निविदा लेने वाले को वहन करना होगा। सोयाबीन का टेंडर 131रु.40 पैसे लीटर पर हुआ है।

यह ठेका एक ही फर्म को मिला हैं। महाशिवरात्रि दीपोत्सव के लिए 12 लाख दीपक सप्लाय करने की निविदा में तीन व्यक्तियों नंदकिशोर प्रजापत, दिलीप प्रजापत और रोशन प्रजापत ने हिस्सा लिया।

तीनों ने अपनी क्षमता के अनुसार दीपक उपलब्ध कराने की संख्या को जाहिर करत हुए दीपक प्रति दीपक के अलग-अलग रेट दिए थे। सूत्रों के अनुसार दो व्यक्तियों ने 90 और 95 पैसे का रेट दिया था।

वहीं एक ने 1.10 रु. का रेट भरा था। क्रय समिति द्वारा निगोसिएशन करने के बाद रेट 90 पैसे तय हुए और तीनों ने इस पर अपनी सहमति प्रदान कर दी।

कई लोगों की जिज्ञासा है कि दीपोत्सव में खाने योग्य तेल का प्रयोग कयों किया जा रहा है। दरअसल निविदा में तेल एफएसएसएआई यानी (फूड सेफ्टी एण्ड स्टैंडर्ड ऑथारिटी ऑफ इंडिया- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) के मानक स्तर का मांगा गया था। इसके पीछे अयोध्या का अनुभव सामने आया हैं।

सूत्रों का कहना है कि दीपोत्सव के लिए अलग-अलग तेल उपयोग करने के सुझाव आने के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी ने दीपक में केवल एफएसएसएआई मानक वाला तेल ही उपयोग करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि अयोध्या आधे जले तेल का स्वयं के लिए उपयोग करने वाले पात्र में भर कर ले गए थे।

ऐस कुछ होना हमारे यहां भी संभव हैं। सभी दीपक का तेल पूरी तरह जल जाएगा यह आवश्यक नहीं हैं। किसी परिस्थति में दीपक अधूरे जले और उनका तेल बचने के बाद उठाकर लेजाने वाले ने खाने में उपयोग कर लिया तो…। अमानक तेल होने पर केजुअल्टी की हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में एफएसएसएआई ही दीपक में रखा जाए। बता दें कि अयोध्या में १२ लाख दीपक में से कई अधूरे जले थे और इनमें बचा हुआ तेल लोग अपने उपयोग के लिए ले गए थे।

भट्टों पर दीपक की तलाश
दीपक की निविदा होने के बाद इनका ठेका लेने वाले अब दीपक की व्यवस्था करने में जुट गए हैं। बताया की दीपक का इंतजाम करने के लिए अब ईट भट्टों और मटके,दीपक और मिट्टी के अन्य सामग्री का कारोबार करने वालों से संपर्क कर रहे हैं। शांति पैलेस के आसपास संचालित भट्टों वालों से दीपक के लिए संपर्क किया गया हैं।

अयोध्या के दीपोत्सव का प्रबंधन ऐसा था

2017 में अयोध्या राम की पेड़ी पर दीपोत्सव कार्यक्रम शुरू हुआ था।

दीपोत्सव की शुरुआत 51 हजार दीयों से हुई थी। वर्ष 2019 में 4,04,226 मिट्टी के दीयों, वर्ष 2020 में 6,06,569 मिट्टी के दीयों को सरयू के तट पर जलाया गया। 2021 में करीब 12 लाख दीपक अयोध्या में जलाए गए। यह अपने आप एक विश्व रिकार्ड हैं।

2021 के दीपोत्सव के संपूर्ण आयोजन पर दीपक जलाने के साथ ही अन्य कार्यक्रम पर करीब 1.33 करोड़ रु. खर्च किए गए।

उत्तरप्रदेश के 90 हजार गांवों से पांच-पांच मिट्टी के दीपक मंगाए गए। द्द दीपक जलाने के लिए 12000 वालंटियर्स, व्यवस्था में 200 समन्वयक, 32 पर्यवेक्षक एवं 32 प्रभारी को तैनात किया गया था,प्रत्येक वालंटियर को लगभग 100 दीपक जलाने का टारगेट दिया गया था।

दीपोत्सव से एक दिन पहले 12 हजार वालंटियर द्वारा समन्वयक एवं प्रभारी के दिशा-निर्देशन में निश्चित पैटर्न पर दीए बिछाने का कार्य किया गया। आयोजन के दिन सुबह से दोपहर तक दीयों में तेल डालने और शाम को छय समय पर दीयों को जलाने का कार्य किया गया।

राम की पेड़ी पर 9 लाख दीपों के अलावा अयोध्या नगरी में 3 लाख दीपों को प्रज्ज्वलन किया। इसी का विश्व रिकार्ड बना था।

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