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इंजेक्शन से साइड इफेक्ट की आशंका:ब्लैक फंगस के मरीजों को 10 दिन में दूसरी बार कंपन-घबराहट
जिला अस्पताल के ब्लैक फंगस वार्ड में भर्ती 12 मरीजों को इंजेक्शन लगाने के बाद उन्हें कंपन व घबराहट होने लगी। इनमें से एक मरीज को आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज व दूसरे मरीज को इंदौर रैफर करना पड़ा है। 10 मरीजों काे जिला अस्पताल में ही इलाज दिया जा रहा है। मरीजों की तबीयत खराब होने की सूचना मिलने पर उनके परिजन वार्ड में पहुंच गए। उन्हें मरीजों ने कहा कि इंजेक्शन लगाने के बाद ठंड लगने लगी और घबराहट भी हो रही है। इसके पहले 9 जून को आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज व चेरिटेबल हॉस्पिटल में भी इंजेक्शन लगाने के बाद 14 मरीजों की तबीयत खराब हुई थी, जिनमें से एक मरीज को आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ा था। जिला अस्पताल में कुल 35 मरीज भर्ती हैं। इनमें से 12 मरीजों को इंजेक्शन लगाए गए थे। उसके बाद उनकी तबीयत खराब होने लगी। इनमें अजय बैरागी और रेशम बाई को ज्यादा तकलीफ होने पर उन्हें रैफर करना पड़ा। सीएमएचओ डॉ. महावीर खंडेलवाल मरीजों की तबीयत जानने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे।
एडवाइजरी के बाद भी मरीजों को स्लो डोज नहीं दिया जा रहा
मरीजों में इस तरह के लक्षण पाए जाने पर एडवाइजरी जारी की गई है। इसमें 6 से 7 घंटे में इंजेक्शन लगाने की सलाह दी गई है। एक साथ पूरा डोज देने से मरीजों को इस तरह की तकलीफ हो सकती है। इंदौर से भेजे गए करीब 300 रुपए कीमत के इंजेक्शन से मरीजों की किडनी पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि जिला अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को मुफ्त में इंजेक्शन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
10 की स्थिति सामान्य
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा ने कहा कि इंजेक्शन से नहीं, ऑक्सीजन लेवल कम होने से मरीजों की तबीयत खराब हुई थी। उनमें से दो मरीजों को रैफर किया है और बाकी के 10 की इलाज के बाद सामान्य स्थिति है। वैसे पोस्ट कोविड मरीजों में इस तरह के लक्षण पाए जाते हैं। दस दिन में दूसरी बार मरीजों में ऐसी तकलीफ सामने आई है। इसके पहले मेडिकल कॉलेज और चेरिटेबल में भी 14 मरीजों को कंपन व घबराहट हुई थी।
किडनी हो सकती डैमेज
म्यूकर माइकोसिस के मरीजों में एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के उपयोग के लिए राष्ट्रीय संयुक्त टॉस्क फोर्स की अनुशंसाओं के बारे में बताते हुए कहा गया है कि इंजेक्शन किडनी को डैमेज कर सकता है। इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन-बी का उपयोग मरीजों के लिए स्लो यानी करीब 6 से 7 घंटे में देने की सलाह दी गई है। आरटीएफ तथा इलेक्ट्रोलाइटी इम्बैलेंस की निगरानी करते हुए ही इंजेक्शन का उपयोग किया जाना आवश्यक है।
मरीजों को कोई समस्या नहीं
ब्लैक फंगस के मरीजों की तबीयत खराब होने पर स्वास्थ्य अमला हरकत में आया। मरीजों को प्रॉपर ट्रीटमेंट दिया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. खंडेलवाल का कहना है कि ब्लैक फंगस वार्ड के सभी मरीज सुरक्षित हैं। उन्हें दवाई से किसी भी प्रकार का रिएक्शन नहीं हुआ है। उन्होंने शुक्रवार को ब्लैक फंगस वार्ड का निरीक्षण किया। वार्ड में भर्ती सभी मरीज स्वस्थ हैं। किसी भी मरीज को कोई समस्या नहीं है तथा उनका इलाज जारी है।