उज्जैन:कोरोना की क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी में डॉक्टर्स ही नहीं

शहर में चर्चा : डॉक्टर्स की राय के बिना कैसे होगा क्राइसिस का मैनेजमेंट
उज्जैन। शहर की जनता और चिकित्सा जगत में यह बात तेजी से उठ रही है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलों में बनी क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी में कलेक्टर और जनप्रतिनिधि होते हैं। परन्तु स्वास्थ्य विभाग से या आईएमए से किसी डॉक्टर का कोई प्रतिनिधित्व अभी नहीं है।
जब भी मिटिंग होती है, जनप्रतिनिधि जनता के बीच की बात रखते हें और प्रशासन कानून व्यवस्था की बात। कोरोना को लेकर होने वाली इन मिटिंग में कोई यह नहीं पूछता है कि मेडिकल एक्सपर्ट का क्या कहना है? इसलिए क्योंकि डॉक्टर्स को न तो प्रशासक माना जाता है और न ही जनप्रतिनिधि। जबकि उपचार की बात आती है तो डॉक्टर्स को सख्ती से कहा जाता है कि मृत्यु दर काबू में रखना है।
शहर के कतिपय कोरोना का उपचार करने वाले एक्सपर्ट डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसी बैठकों में डॉक्टर्स को बुलाकर उनकी राय भी पूछना चाहिए। उस समय डॉक्टर्स जो राय देंगे, उन सावधानियों के आधार पर क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी निर्णय लेगी तो संभव है कि आने वाले दिनों में कोरोना को लेकर क्राइसिस ही न हो। अभी हम डॉक्टर्स खुलकर नहीं बोल पाते हैं,संभव है कि बैठक में अंदरूनी तथ्य रखे,ताकि जनप्रतिनिधि सहमत हो जाए ओर जिला प्रशासन को निर्णय लेने में आसानी हो जाए। वहीँ दूसरी और शहर की जनता को यह भी समझ नहीं आ रहा की एक वैश्विक महामारी और बिमारी से निपटने के लिए बिना डॉक्टर की टीम आखिर कैसे बन सकती है ?