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उज्जैन:निजी लैब में हो रहे रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट को लोग समझ रहे है कोरोना टेस्ट
उज्जैन:आयसीएमआर से अनुमति प्राप्त एंटी बॉडी टेस्ट को लेकर अब विवाद छिडऩे लगा हैं। शासकीय चिकित्सकों का कहना है कि यह टेस्ट कोरोना का टेस्ट नहीं है। यह केवल शरीर में मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता का प्रतिशत बताता है। इससे केवल यही पता लगता है कि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता (एंटी बॉडी) कितने प्रतिशत है। ताकि वह शरीर की इम्युनिटी का सही आंकलन कर सके। इधर शहर में लोग कोरोना टेस्ट से बचते हुए एंटी बॉडी टेस्ट करवा रहे हैं और रिपोर्ट आने के बाद वे यह मान रहे हैं कि उन्हे जो लक्षण दिख रहे हैं, वह कोरोना के नहीं है? जबकि उन्हे फिवर क्लिनिक जाकर अपना टेस्ट करवाना चाहिए।
देश की चार पैथालॉजी लैब को आयसीएमआर ने रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट करने की अनुमति प्रदान की है। इन पैथालॉजी लैब के द्वारा यह टेस्ट किए जा रहे हैं। उज्जैन में भी करीब 750 रुपए प्रति टेस्ट के लिए जा रहे हैं। लोगों का रूझान इन टेस्ट की ओर हो रहा है लेकिन सूत्रों का दावा है कि उन्हे यह स्पष्ट नहीं किया जाता है कि यह कोरोना टेस्ट नहीं है, केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का प्रतिशत बताने वाला टेस्ट है। कुछ लोगों का कहना है कि जब वे पूछताछ करते हैं तो यह कहा जाता है कि इससे यह पता लग जाता है कि आपके शरीर में कोरोना का असर पिछले दिनों होकर तो नहीं चला गया? या आने वाले दिनों में हो सकता है? जबकि चिकित्सक इस बात को सिरे से नकार रहे हैं।
यहां है विसंगतियों की जड़ें
पड़ताल में यह बात सामने आई कि ऐसे लोग जिनको सर्दी-खांसी-जुकाम-बुखार है वे माधवनगर अस्पताल अथवा जिला अस्पताल में नहीं जा रहे हैं। उनको भय रहता है कि उनका टेस्ट करवाने के बाद चिकित्सक को शंका हुई तो पीटीएस अथवा माधवनगर अस्पताल में भर्ती कर लेंगे। पूरा पता और मोबाइल नम्बर लिखने के बाद संभव है कि घर पर आकर जांच करें। ऐसे में पड़ोस के लोगों के बीच सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होगी। यही कारण है कि 15 दिन पहले तक ऐसे लोग कथित रूप से चोरी छिपे उपचार करवा रहे थे और अधिक बीमार होने पर ही शासकीय अस्पताल पहुंच रहे थे। अब उनके सामने विकल्प के रूप में एंटी बॉडी टेस्ट आ गया है? वे चर्चा में बताते हैं कि हमने टेस्ट करवा लिया, प्रतिशत अच्छा आया, याने हमे कोरोना नहीं हुआ था, आगे भी सब ठीक रहेगा।
टेस्ट करने वाली लैब पर लगानी होगी सूचना
सूत्रों का दावा है कि इस बात की जानकारी जिला प्रशासन के पास भी है। जिले में बढ़ रहे कोरोना पॉजीटिव टेस्ट के बाद प्रशासन को खबर मिली है कि लोगों का झुकाव उक्त टेस्ट की ओर है। आयसीएमआर की अनुमति प्राप्त होने से उक्त टेस्ट को रोका नहीं जा सकता, लेकिन सूत्रों का कहना है कि जल्द ही प्रशासन एक आदेश जारी करने वाला है, जिसमें उल्लेख रहेगा कि संबंधित लैब यह लिखे कि रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट, कोरोना जांच का टेस्ट नहीं है। ताकि भ्रम की स्थिति समाप्त हो।
कोरोना टेस्ट नहीं रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट- सीएमएचओ
सीएमएचओ डॉ. महावीर खण्डेलवाल के अनुसार रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट, कोरोना टेस्ट नहीं है। आयसीएमआर से देश की चार लैब को रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट की अनुमति है। लोग भुलावे में आकर, कोरोना टेस्ट समझकर इस टेस्ट को करवा रहे हैं। इस टेस्ट में सिर्फ इस बात की जांच हो जाती है कि संबंधित व्यक्ति का शरीर एंटी बॉडी है या नहीं? वह रोगों से लड़ सकता है या नहीं?
ऐसे होता है यह टेस्ट
डॉ.खण्डेलवाल के अनुसार इस टेस्ट में व्यक्ति के ब्लड का सैंपल लिया जाता है। उसकी जांच में रोग प्रतिरोधक क्षमता मापी जाती है। वास्तव में इसका उपयोग बड़े पैमाने पर रेंडम सैंपल के रूप में लोगों में संक्रमण का स्तर देखने के लिए होता है।
जागरूक बने लोग- डॉ.सोनानिया :
लोग जागरूक बने। यदि लक्षण हैं तो सीधे शासकीय अस्पताल में स्थित फिवर क्लिनिक आएं। न तो आने से डरे और न ही टेस्ट से डरें। यदि पॉजीटिव आता भी है तो उपचार होगा और परिवार सुरक्षित रहेगा।