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उज्जैन में भी गुरुनानक देव ने रखे थे कदम
उज्जैन | सिख समाज के गुरु गुरुनानकजी भारत यात्रा के दौरान उज्जैन आए थे। उन्होंने दो दिन प्रवास के दौरान इमली के पेड़ के नीचे बैठकर तीन शबद कहे थे। जिनका उल्लेख गुरुग्रंथ साहब में भी मिलता है। नानकदेव के नाम से ही शहर में क्षिप्रा तट पर घाट का निर्माण भी किया गया है। अमृतसर की कमेटी द्वारा इस स्थान को भव्यता देने के लिए कई कार्य किए हैं। इसे ऐतिहासिक स्थल बनाने के लिए निर्माण कार्य भी किए जा रहे हैं। यहां वर्तमान 12 घंटे का लंगर संचालित हो रहा है। आने वाले समय में 24 घंटे का लंगर चलेगा।
मप्र में उज्जैन ही एक ऐसा शहर है, जहां नदी किनारे सिख समुदाय के गुरुद्वारे का निर्माण किया गया है। करीब एक अरब की लागत से 5 से 7 वर्ष में पूर्ण होने वाला गुरुनानक गुरुद्वारा आने वाले दिनों में पांच राज्यों के लिए सिख समाज की धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बनेगा।
6 बीघा में किया जा रहा निर्माण
मोक्षदायिनी शिप्रा के किनारे अनेक मंदिर और देवालय हैं तो मौलाना मौज की मजार भी है। इसे सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक ही कहेंगे कि शिप्रा किनारे गुरुनानक घाट के साथ सिखों के गुरुदेव गुरुनानक गुरुद्वारा भी मौजूद है। सिख समाज के जत्थेदार सुरेंद्रसिंह अरोरा के अनुसार करीब 6 बीघा क्षेत्र में निर्माण कार्य किया है। सराय और अस्पताल का निर्माण होना बाकी है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंध समिति के अधीन
एसएस नारंग ने बताया कि क्षिप्रा किनारे ऐतिहासिक महत्व के वर्तमान स्थान पर गुरुद्वारा की खोज उदासीन संत महामंडेश्वर ईश्वरदास महाराज ने की थी। निर्माण के लिए जत्थेदार सुरेंद्रसिंह अरोरा ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से आग्रह किया था। प्रबंध समिति के तात्कालीन प्रमुख अवतार सिंह मक्कड़ नीतिगत व्यवस्था के तहत गुरुद्वारे का निर्माण शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति को सौंपने का सुझाव दिया था। गुरुद्वारे के कुछ हिस्से का निर्माण हो चुका है और अन्य निर्माण कार्य होना बाकी हैं।
उज्जैन का सातवां गुरुद्वारा
उज्जैन में कुल 6 गुरुद्वारे हैं। इसमें गुरुसिंघ सभा गुरुद्वारा दूधतलाई, गुरुद्वारा फ्रीगंज, गुरुद्वारा पटनी बाजार, माता गुजरी गुरुद्वारा गीता कॉलोनी, गुरुद्वारा नानाखेड़ा और गुरुद्वारा भैरवगढ़ हैं। सातवां क्षिप्रा किनारे गुरुनानक घाट पर गुरुनानक गुरुद्वारा के रूप बन गया है।
आलीशान लंगर हॉल, 20 कमरे और अन्य सुविधाएं
गुरुनानाक घाट पर आलीशान लंगर हॉल के साथ 20 कमरे और स्टॉफ कक्ष निर्माणाधीन हैं। गुरुनानक गुरुद्वारा में संत भूरीवाले कश्मीरसिंह द्वारा कारसेवा भी की जाती रही है। आने वाले समय में गुरुद्वारा एक अरब रु. की लागत से अपनी पूर्ण भव्यता में नजर आएगा।