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उज्जैन में मिलावट का खतरनाक खेल, हर दूसरा नमूना फेल
खाद्य सामग्रियों में हो रही मिलावट, बीते डेढ़ महीने के दौरान ही अब तक हुई जांच में 50 फीसदी नमूने अमानक स्तर के पाए गए हैं
उज्जैन. शहर सहित जिलेभर में खाद्य सामग्री में मिलावट का खेल जोरों पर है। बीते डेढ़ महीने के दौरान ही अब तक हुई जांच में 50 फीसदी नमूने अमानक स्तर के पाए गए हैं। इनमें दूध, पनीर व घी आदि खाद्य-पेय सामग्री शामिल हैं। इनके अलावा कुछ मामलों में एसेंस का उपयोग और फलों को पकाने में कैल्शियम कार्बाइट का उपयोग करना भी मिला है।
मिलावटखोरी के विरुद्ध प्रदेशभर के साथ जिले में चली मुहिम में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। अब तक की रिपोर्ट में खाद्य सुरक्षा विभाग को हर दूसरा नमूना अमानक स्तर का मिला है। मसलन बाजार में मिलावटखोरी बड़े पैमाने पर हो रही है। सर्वाधिक नमूने दूध से बनने वाली सामग्रियों के लिए गए हैं और ज्यादातर में कुछ न कुछ कमी पाई गई है। हालांकि इक्का-दुक्का मामलों को छोड़कर किसी में स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक स्तर की मिलावट नहीं पाई गई है।
17 नमूने अमानक मिले
20 जुलाई से अब तक खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने जिलेभर से खाद्य सामग्रियों के कुल 133 नमूने जांच के लिए हैं। इनमें से 34 के ही जांच प्रतिवेदन प्राप्त हुए हैं। मिली 35 रिपोर्ट्स में से 17 नमूने अमानक मिले हैं। रिपोर्ट के आधार पर संबंधित व्यापारियों को नोटिस जारी होने के साथ एडीएम कोर्ट में प्रकरण प्रस्तुत किए जाएंगे। एडीएम सुनवाई करने के बाद प्रकरणों में निर्णय देंगे। हालांकि इस प्रक्रिया में तीन-चार महीने लगते हैं।
सेंपलिंग बढ़ी, रिपोर्ट में हो रही देरी
प्रदेशभर में चल रही मुहिम के कारण विभाग द्वारा बड़ी संख्या में नमूने लिए जा रहे हैं। पूर्व में विभाग जिले में 20-25 नमूने प्रति माह लेता था वहीं मुहिम के चलते यह आंकड़ा बढ़कर 70-80 तक पहुंच गया है। जांच के लिए नमूने राज्य खाद्य प्रयोगशाला भेजे जाते हैं। यहां उज्जैन के साथ ही प्रदेशभर से लिए गए नमूने जांच के लिए पहुंचते हैं। मुहिम में नमूने की कार्रवाई अधिक होने के कारण जांच रिपोर्ट मिलने में अधिक समय लग रहा है। आम तौर पर एक नमूने की कागजी कार्रवाई करने, भोपाल भेजने और रिपोर्ट मिलने में करीब 20 दिन लगते हैं लेकिन अभी यह अवधि और भी बढ़ गई है। एेसे में उज्जैन में भी संभागीय प्रयोगशाला खोलने की जरूरत बढ़ गई है। हाल में बैठक करने उज्जैन आए मुख्य सचिव ने भी जांच में तेजी लाने व संसाधन बढ़ाने के निर्देश दिए थे।
कुछ बड़ी कार्रवाई भी हुई
- केलकर परिसयर में संचालित श्रीकृष्णा गृह उद्योग में वनस्पति घी में घी का एसेंस मिलाकर बेकरी शॉर्टनिंग के नाम से बेचना पाया था। मौके से सात नमूने लिए गए थे, जिसमें वनस्पति घी, एसेंस व बेकरी शॉटनिंग शामिल थे। जांच रिपोर्ट में सातों नमूने फेल मिले हैं। रिपोर्ट से पूर्व ही मामले में जनसामान्य के स्वास्थ्य से बड़ा खिलवाड़ मानते हुए कलेक्टर ने श्रीकृष्णा गृह उद्योग संचालक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून अंतर्गत कार्रवाई की थी।
- खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने छत्रीचौक बड़ी सब्जी मंडी स्थित पाकीजा पपीता सेंटर व बारसी फूड पर कैल्शियम कार्बाइट से फलों को पकाना पाया था। जांच रिपोर्ट में कैल्शियम कार्बाइट प्रतिबंधित पाया गया। इस पर विभाग ने दोनों फर्मों के संचालकों के खिलाफ पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाया।
रिपोर्ट में यह मिले अमानक
- बडऩगर रोड छानखेड़ी स्थित श्री कृष्ण इंटरप्राइजेस से लिया गया मिश्रित दूध का नमूना अमानक मिला।
- सिद्धि दूध डेयरी से मावे के दो व वनस्पति घी का नमूना लिया था। मावे के नमूने अमानक मिले व वनस्पति अपद्रव्य पाया गया।
- उन्हेल कृष्णा दूध चिलिंग सेंटर से दूध का नमूना लिया, दूध में पानी की मिलावट पाई।
- उन्हेल स्थित अश्विन ट्रेडर्स से मावा का नमूना लिया, जो अमानक मिला।
- श्रीकृष्णा गृह उद्योग से वनस्पति, एसेंस व बेकरी शॉटर्निंग के सात नमूने लिए, सातों फेल मिले।
- बडऩगर स्थित कमल दूध डेयरी से पनीर का नमूना लिया, जो अमानक मिला।