उज्जैन में मेट्रो की जरूरत नहीं, बीआरटीएस को बढ़ावा देंगे

केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास सचिव ने जनसंख्या की कमी का दिया हवाला,

उज्जैन. इंदौर में प्रचलित मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाते हुए उज्जैन में भी शुरू करने की अटकलों को फिलहाल विराम लग गया है। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने शहर में कम जनसंख्या का हवाला देते हुए कहा है कि उज्जैन में अभी इसकी आवश्यकता नहीं है। इसकी जगह उन्होंने इंदौर व भोपाल की तर्ज पर बीआरटी सिस्टम विकसित करने का सुझाव जरूर दिया है।
मिश्र ने सोमवार को मेला कार्यालय में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट व इंदौर और उज्जैन में स्मार्ट सिटी योजना अंतर्गत प्रचलित कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान इंदौर में प्रचलित मेट्रो ट्रेन के कार्य का प्रंजेंटेशन हुआ। प्रोजेक्टसंचालन-संधारण के लिए यूटीएफ (अर्बनट्रांजेक्ट फंड) की व्यवस्था करने को कहा गया। इसमें निगम को प्राप्त कर में से कुछ हिस्सा इस फंड में जमा करने पर चर्चा हुई। साथ ही प्रोजेक्ट में आवश्यक जमीन की उपलब्धता के लिए रियल एस्टेट संबंधित पृथक से कंपनी गठित करने पर भी विचार हुआ। बैठक में यह बात भी आई कि मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए प्रति किलोमीटर करीब 300 करोड़ रुपए की आवश्यकता होती है।
मीडिया से चर्चा में मिश्रा ने कहा, उज्जैन में मेट्रो की अभी जरूरत नहीं है। मेट्रो की आवश्यकता वहां होती है जहां बहुत अधिक ट्रैफिक वॉल्यूम हो। उज्जैन की कुल जनसंख्या करीब ६ लाख है और यदि श्रद्धालु-पर्यटकों को भी इसमें जोड़ा जाए तो संख्या 10 लाख तक होगी। एेसे में यहां के लिए मेट्रो सफल नहीं हो पाएगी। यहां के लिए बस सिस्टम को आगे बढ़ाया जा सकता है। इंदौर, भोपाल में बीआरटी सिस्टम अच्छा चल रहा है।

बसों की आसान उपलब्धता से लाभ मिलेगा

मीडिया से चर्चा के दौरान शहर में सिटी बस सहित यात्री परिवहन की अन्य शासकीय योजनाओं के फेल होने, पर्याप्त संख्या में यात्री नहीं मिलने से योजनाओं में घाटा होने का भी विषय आया। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग प्रमुख सचिव संजय दुबे ने कहा, बसों की फ्रीक्वेंसी बढऩे से यह स्थिति नहीं होगी। अभी यदि आधा घंटे के अंतराल में बस उपलब्ध होती है तो यात्री अन्य विकल्प का उपयोग कर लेता है। बसों की संख्या बढऩे से फ्रीक्वेंसी बढ़ेगी। जब हर ५-१० मिनट में बसें उपलब्ध होगी तो यात्री इसका उपयोग करेंगे और उन्हें लाभ मिलेगा।

 

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