ऊंची हो बाबा की पालकी:श्रद्धालु बोले- पालकी ऊंची हो तो छह फीट ऊंचे बैरिकेड्स से भी बाबा महाकाल को निहार सकेंगे

श्रावण-भादौ माह में निकलने वाली महाकालेश्वर सवारी का लाभ अधिक श्रद्धालुओं को मिले, इसके लिए सुलभ दर्शन की व्यवस्था आवश्यक है। दो साल बाद परंपरागत मार्ग से सवारी निकाली जाएगी। ऐसे में बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा की एक झलक पाने को बेताब हैं।

पूर्व निगम सभापति प्रकाश चित्तौड़ा का कहना है कि सवारी में शामिल बाबा की एक झलक पाने के लिए मंदिर से लेकर रामघाट तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु घंटों इंतजार करते हैं। कई बार उन्हें दर्शन नहीं हो पाते। ऐसे में मंदिर समिति और प्रशासन को ऐसी व्यवस्था करना चाहिए जिससे सड़क के दोनों ओर खड़े श्रद्धालुओं के साथ दूर से भी दर्शन सुलभ हो सकें। परंपरा का निर्वहन करते हुए पालकी में इस तरह बदलाव किए जाएं कि उसकी ऊंचाई बढ़ जाए।

मनोहर गुप्ता स्वामी खिलखिलाके ने कहा बाबा महाकालेश्वर की पालकी की ऊंचाई बढ़ाना अति आवश्यक है। कई वर्षों से यह मांग की जा रही है। श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति व प्रशासन इस ध्यान देकर यथोचित तुरंत निर्णय ले। आने वाले वर्षो में देश भर से आने वालों भक्तों की संख्या को देखते हुए सुलभ दर्शन की समुचित व्यवस्था अति आवश्यक है। पालकी की ऊंचाई बढाने से दिव्यांग, बच्चे, महिलाओं को भी सहजता से दर्शन हो सकेंगे।

शहर कांग्रेस कमेटी कार्यवाहक अध्यक्ष विवेक यादव (विक्की) ने कहा कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को दृष्टिगत रखते हुए वर्तमान सवारी मार्ग का विस्तार करते हुए सावन मास की सभी सवारियां तेलीवाड़ा, कंठाल से होती हुई गोपाल मंदिर परंपरागत मार्ग से निकाली जाएं। प्रमुख शाही सवारी तेलीवाड़ा से बियावानी, फाजलपुरा होते हुए गाड़ी अड्डा, नगर निगम के सामने होते हुए, कोयला फाटक, निजातपुरा होते हुए कंठाल मार्ग से फिर परंपरागत मार्ग से निकाली जाए।

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