कथकली में कुमारसंभवम् आैर ओडिसी में मां दुर्गा स्तुति से सजी समारोह की आखिरी शाम

अखिल भारतीय कालिदास समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की आखिरी शाम कथकली आैर ओडिसी नृत्य एवं शास्त्रीय गायन से सजी। केरल आैर पश्चिम बंगाल के कलाकारों के दल ने नृत्य प्रस्तुतियों से दर्शकों को मुग्ध कर दिया। आखिरी में शहर के गायक ने शास्त्रीय गायन किया। इसी के साथ सात दिवसीय अभा कालिदास समारोह का समापन हो गया।

 समापन संध्या की आखिरी शाम पालक्कड़ (केरल) के सदानम् हरिकुमार एवं उनके दल ने महाकवि कालिदास की रचना कुमारसंभवनम् पर कथकली के माध्यम से नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। करीब एक घंटे की प्रस्तुति में कलाकारों ने आकर्षक वेशभूषा में नृत्य कर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। दूसरी प्रस्तुति में कोलकाता की ख्यात नृत्यांगना संचिता भट्टाचार्य ने दल के साथ ओडिसी नृत्य की समूह प्रस्तुति दी। उन्होंने महादेव स्तुति के साथ शुरुआत करते हुए कुमारसंभवम् के एक प्रसंग पर नृत्य की समूह प्रस्तुति दी। इसके बाद संचिता ने भगवान श्रीकृष्ण आैर यशोदा माता पर आधारित एकल नृत्य किया। आखिरी में मोक्ष नृत्य आैर मां दुर्गा की स्तुति के साथ नृत्य का समापन किया। उनके साथ निशा घोष, अंबिता उदीकारी, दीप नीता, अंजली प्रसाद, दीप्तिश्री गुप्ता सहित छह कलाकारों ने प्रस्तुति दी।

समापन संध्या के अंत में डॉ. योगेश देवले ने शास्त्रीय गायन किया। डॉ. देवले ने राग चंद्र कौल से शुरुआत करते हुए 17 रागों की राग माला सहित अन्य राग सुनाए। उनके साथ संगत निशांत शर्मा (तबला), विजय गोथरवाल (हारमोनियम), सक्षम देवले, आदित्य परसाई व राहुल तिवारी (गायन) ने की।

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