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कमजोर इतने कि तपेली तक नहीं उठा पाते थे, अब योग एक्सपर्ट
उज्जैन :- नाम – शुभम शर्मा, उम्र 18 साल, कद-काठी सामान्य। शारीरिक अक्षमता के कारण चार साल पहले तक शुभम हाथों से पानी भरी हुई तपेली तक नहीं उठा पाता था लेकिन खेल के प्रति उसका जज्बा इतना अधिक था कि उसने अपनी कमजोरियों से उभरते हुए न केवल खुद को सक्षम बनाया बल्कि योग का एक्सपर्ट बनकर अब कई ऐसे आसन भी लगाना शुरू कर दिए।
शुभम दोनों कानों से बराबर सुन नहीं पाता। जन्म से ही उसकी श्रवण शक्ति 66 प्रतिशत क्षतिग्रस्त है। अपनी इसी असाधारण प्रतिभा के दम पर शुभम ने योग की कई नेशनल स्पर्धाओं में गोल्ड आैर सिल्वर मैडल जीते है। तेलीवाड़ा निवासी शुभम के माधव कॉलेज में प्रथम वर्ष का विद्यार्थी है। उसके पिता सत्यनारायण इन्वर्टर रिपेयरिंग का कार्य करते हैं आैर माता मधु गृहिणी है। चार साल पहले तक स्थिति यह थी कि वह हाथों से कोई बर्तन तक नहीं उठा पाता था। इसके बाद उसने योग का सहारा लेना शुरू किया। प्रशिक्षक डॉ. आशीष मेहता बताते हैं कि शुभम ने चार साल के छोटे से अंतराल में ही योग के कठिन अासन तक सीख लिए। स्कंध पीड़ासन, पूर्ण शलभासन, डिंबासन के अलावा वह साइकिल चलाते हुए द्विपाद कंद्रासन, नटराज सहित कई जटिल आसन भी कर लेता है। शुभम अब तक 2013-14 में भुवनेश्वर, 2014-15 में मुंबई, 2015-16 में जयपुर आैर 2016-17 में अमरावती में योग की राष्ट्रीय स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीत चुका है। साथ ही 2016 में जबलपुर में हुई स्टेट चैंपियनशिप में भी पहले स्थान पर रहते हुए गोल्ड मैडल हासिल किया।
आर्थिक तंगी व संसाधनों का अभाव भी रोक नहीं सका
बहादुरगंज निवासी 21 वर्षीय शुभम पोतदार 13 सालों से मलखंब का अभ्यास कर रहे हैं। पिता अरुण की एम्ब्रायड्री की दुकान है आैर माता सुमन प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका। आर्थिक तंगी के अलावा बगैर संसाधनों के ही शुभम ने मलखंब का अपना अभ्यास शुरू किया था। प्रशिक्षक डॉ. मेहता ने भी आगे बढ़ाने के लिए हर संभव मदद की। हैंगिंग मलखंब में शुभम एक दर्जन राष्ट्रीय आैर प्रादेशिक स्पर्धाओं में खिताब अपने नाम कर चुका है। साथ ही उसने कई स्वर्ण, रजत आैर कांस्य पदक भी जीते हैं। टीवी पर प्रसारित होने वाले इंडियाज गॉट टैलेंट में तीन बार प्रदर्शन कर चुका है।
रोज दो घंटे सब्जी की दुकान पर बैठता लेकिन नहीं छोड़ता अभ्यास
16 साल के रितिक चंदेरीवाल रोप आैर हैंगिंग मलखंब के एक्सपर्ट हैं। दौलतगंज सब्जी मंडी में सब्जी व आलू-प्याज की दुकान चलाने वाले राधेश्याम के पुत्र रितिक भी अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाने से पीछे नहीं रहते। हाल ही में 10वीं पास करने वाला रितिक रोज दो घंटे दुकान पर काम संभालता है। पिछले सात सालों में उसने कभी भी अभ्यास को नहीं छोड़ा। रितिक को 2016 में हुई 33वीं ओपन नेशनल मलखंब में हैंगिंग मलखंब में गोल्ड मैडल मिला। इसके अलावा भी रितिक ने कई मेडल जीते है।