कलेक्टर द्वारा जिले में ग्रामीण विकास की योजनाओं की समीक्षा की गई

जिला पंचायत उज्जैन के सभाकक्ष में कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे द्वारा जिले में ग्रामीण विकास की योजनाओं की समीक्षा की गई। इसमें सीईओ जिला पंचायत रूचिका चौहान, सभी एसडीएम, सीईओ जनपद पंचायत, एडीओ, पीसीओ, उपयंत्री व फील्ड स्टाफ के कर्मचारी मौजूद थे। सर्वप्रथम श्रम विभाग की म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा की गई। बैठक में कलेक्टर ने निर्देश दिये कि श्रमिकों के पंजीयन कार्य में बिलकुल भी कोताही न बरती जाये और तेज गति से पंजीयन कार्य किया जाये। ऐसे श्रमिक, जो पहले से पंजीकृत हैं, उनके कार्ड नवीनीकृत किये जायें।

कलेक्टर ने कहा कि सभी तरह के श्रमिक, जिनमें निर्माण व खेतीहर वर्ग के श्रमिक मौजूद हैं, उनका पंजीयन कार्य गंभीरतापूर्वक किया जाये। हर ब्लॉक को नये पंजीयन व नवीनीकरण के लिये शासन द्वारा पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया गया है। मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना के तहत खेतीहर मजदूरों को आर्थिक सहायता व अन्य आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जाना हैं। इस कार्य में सभी जनपदों में तेज गति से संचालन हो। उल्लेखनीय है कि निर्माण श्रमिक वे होते हैं जो निर्माण कार्य में कुशल, अर्द्धकुशल या अकुशल श्रमिक के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन प्रबंधकीय या प्रशासकीय हैसियत में नियोजित व्यक्ति इसमें सम्मिलित नहीं हैं।

उक्त कार्य में पात्र होने के लिये व्यक्ति का वर्षभर में कोई भी 90 दिन कार्य करना जरूरी है। श्रमिक की आयु 18 वर्ष से 60 वर्ष के मध्य होनी चाहिये। पंजीयन के लिये सम्बन्धित जिले के नगरीय निकाय और जनपद पंचायतों में सम्पर्क किया जा सकता है। एक बार पंजीकृत हो जाने के पश्चात हितग्राही को कार्ड दिया जाता है, जो कि पांच वर्ष तक मान्य होता है। तत्पश्चात कार्ड का नवीनीकरण करवाना होता है। बैठक में बीमा सहायता योजना व प्रसूति सहायता योजना के तहत पंचायतों में किये गये विकास पर कार्यवाही पर चर्चा की गई। कलेक्टर ने निर्देश दिये कि पात्र हितग्राहियों को प्राथमिकता देते हुए उनका पंजीकरण और शासन की समस्त योजनाओं से उन्हें लाभान्वित किया जाये।

श्रमिकों के बच्चों के लिये छात्रवृत्ति योजना के तहत उन्हें लाभान्वित करने के सम्बन्ध में भी बैठक में चर्चा की गई। इस दौरान बताया गया कि समग्र पोर्टल में श्रमिकों व उनके बच्चों की फोटो जीआरएस के माध्यम से अपलोड की जाये। इसके अलावा मेधावी छात्र-छात्राओं के नाम पुरस्कार योजना के तहत पंजीकृत किये जायें। बैठक में श्रमिक की मृत्यु पर अन्त्येष्टी व अनुदान सहायता के तहत 25 हजार से दो लाख रूपये तक की राशि दिये जाने के बारे में बताया गया। श्रमिक के 45 वर्ष या उससे कम आयु होने पर 75 हजार रूपये राशि व प्राकृतिक मृत्यु व दुर्घटना में मृत्यु होने पर दो लाख रूपये दिये जाने का प्रावधान है।

इसके अलावा चिकित्सा सहायता योजना के तहत किसी भी प्रकार के उपचार हेतु प्रति परिवार प्रतिवर्ष 30 हजार रूपये दिये जाने का प्रावधान है। यदि श्रमिक अपंजीकृत है और निर्माण के दौरान उसकी मृत्यु हो तो पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट या एफआईआर की कापी संलग्न करने पर एक लाख रूपये व दुर्घटना में स्थायी अपंगता पर 75 हजार रूपये की राशि दिये जाने का प्रावधान है।

बैठक में एनआरएलएम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जनपदवार बैंक लिंकेज की स्थिति की भी समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन की समीक्षा के दौरान कलेक्टर ने कहा कि प्रकरणों का वितरण शत-प्रतिशत करवाया जाना सुनिश्चित करें। ग्रामीण आवास मिशन पर चर्चा के दौरान निर्देश दिये गये कि 21 नवम्बर को दूसरी किश्त व हितग्राहियों के प्रकरण के फोटो उपलब्ध करवाये जायें। आवास योजनाओं के तहत सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों का भी शीघ्र निपटारा करने के निर्देश दिये गये। कलेक्टर ने कहा कि सभी एडीओ, पीसीओ इसे गंभीरतापूर्वक करें। उक्त योजनाओं की समय-समय पर समीक्षा की जायेगी।

स्वच्छ भारत अभियान पर समीक्षा के दौरान कलेक्टर ने निर्देश दिये कि घट्टिया जनपद में कार्य संतोषजनक नहीं है, अत: शीघ्रतापूर्वक निर्धारित लक्ष्य को पूर्ण किया जाये, अन्यथा सम्बन्धितों के विरूद्ध एफआईआर के साथ कठोर कार्यवाही की जायेगी। शौचालय निर्माण की धीमी गति पर कलेक्टर ने अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की। घट्टिया जनपद की जिन पंचायतों में लक्ष्य पूरे नहीं किये गये हैं, उन्हें 15 नवम्बर तक बिना विलम्ब के शौचालय निर्माण किये जाने के निर्देश दिये गये। कलेक्टर ने कहा कि 15 नवम्बर तक घट्टिया जनपद को ओडीएफ घोषित किया जाना प्रस्तावित है, अत: इस दिशा में युद्धस्तर पर कार्य किया जाये। जिले की ओडीएफ पंचायतों की स्थिति पर चर्चा के दौरान कलेक्टर ने कहा कि सम्पूर्ण जिले को शत-प्रतिशत ओडीएफ घोषित करना है। ओडीएफ घोषित होने के पश्चात भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, अत: इस कार्य को सम्बन्धित अधिकारी गंभीरतापूर्वक करें।

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