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किसानों के 12 करोड़ अटके, इसे चुकाने के लिए लोन लेगा दुग्ध संघ
कोरोना का साइड इफेक्ट उज्जैन दुग्ध संघ पर भी हुआ है। ये कि न तो दूध ज्यादा बिक रहा है न ही पावडर व अन्य अन्य प्रोडक्ट। नतीजा संभाग के 35 हजार किसानों का 12 करोड़ का भुगतान डेढ़ महीने से अटका पड़ा हैं। संभवत: ऐसे हालात पहली बार बने हैं। बहरहाल इस मुसीबत से पार पाने के लिए अब संघ के अधिकारी बैंकों से लोन लेने व शासन से आर्थिक मदद मांग रहे हैं।
उज्जैन दुग्ध संघ का कार्यालय व फैक्टरी मक्सी रोड पर है। शासन के इस उपक्रम में संभाग की 1237 सोसायटियों के जरिए 35 हजार पंजीकृत किसान राेजाना दूध पहुंचाते हैं। एवज में इन्हें 15 दिनों में भुगतान हो जाया करता है लेकिन कोरोना काल में ये स्थिति गड़बड़ा गई। सोसायटियों के जरिए दूध की आवक तो पहले जितनी औसतन डेढ़ लाख लीटर रोज की बनी हुई है लेकिन दूध, पावडर व अन्य प्रोडक्ट की ब्रिक्री घट गई।
पहले रोजाना 90 हजार लीटर तक दूध बिक जाया करता था और बचे हुए दूध से तैयार किया जाने वाले पावडर का भी उठाव अच्छा होता था। इसके अलावा दही, लस्सी, मावा, पेठा व अन्य प्रोडक्ट भी बिकते थे लेकिन अब इन सभी की ब्रिक्री में गिरावट आ गई हैं। दूध 40 से 50 हजार लीटर तक ही बिक पा रहा है। ऐसे में मजबूरी में संघ को बचे हुए ज्यादातर दूध का पावडर बनवाना पड़ रहा है।
सांची के दूध का पावडर संघ टेंडर निकालकर 350 रुपए किलो तक में बेचता रहा है लेकिन अब आधी कीमत में भी इसके ग्राहक नहीं मिल रहे हैं। लिहाजा 1400 टन पावडर का स्टॉक जमा हो चुका है। इन तमाम विपरीत परिस्थिति के बीच संघ पर सबसे ज्यादा दबाव पंजीकृत किसानों के भुगतान का है। इस समस्या से निजात के लिए अब संघ के अधिकारी बैंकों से लोन लेने जा रहे हैं।
शासन से मदद
न तो पर्याप्त मात्रा में दूध बिक रहा है न पावडर के लिए ग्राहक मिल रहे हैं। 35 हजार किसानों का 12 करोड़ का भुगतान अटका है। इसे अदा करने के लिए बैंकों से ऋण लिया जाएगा, शासन से भी मदद ले रहे हैं। -बीके साहू, सीईओ, दुग्ध संघ