कोरोना में यह स्थिति है खतरे की घंटी, इससे बचे

पुरानी बीमारी और इलाज में देरी से शरीर में फैलता वायरस का जाल, इसमें उलझती है सांस, संक्रमयण फैलने पर कोरोना संक्रकित मरीजों का आक्सीजन लेवल तेजी से घटने लगता है

उज्जैन.

केस-1. जिले की तहसील के कोरोना संक्रमित मरीज की करीब आठ दिन का उपचार चलने के बावजूद उसकी मौत हो गई। मरीज को पहले से ही ब्लड प्रेशर व डायबिटिज की समस्या थी। लगातार स्थिति बिगडऩे के कारण उसे जीवन रक्षक उपकरणों का सपोर्ट दिया जा रहा था। लंबा उपचार चलने के बाद भी रिक्वरी नहीं हो पाई।

केस-2. युवा मरीज की कोरोना से मौत हो गई जबकि उसे बीपी-शुगर जैसी समस्या भी नहीं थी। चिकित्सकों के अनुसार युवक का लंग्स काफी संक्रमित हो चुका था और ऑक्सीजन लेवल 40-45 तक पहुंच गया था। मरीज को वेंटिलेटर पर भी रखा गया।

कोरोना संक्रमित कई मरीजों में लक्षण तक नजर नहीं आते हैं वहीं कुछ एेसे मामले भी लगातार आ रहे हैं जिनमें मरीजों की जिंदगी बचाना मुश्किल हो रहा है। जिले में अब तक ५४ कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें से अधिकांश मामलों में कुछ बाते समान रही, पहली मरीज को डायबिटिज, बीपी, हाइपर टेंशन या हृदय संबंधित संबंधित अन्य बीमारी जैसी पुरानी समस्या थीं और दूसरी कि उपचार में देरी से संक्रमण का अधिक फैलना इन दोनो ही स्थिति में कोरोना वायरस तुलनात्मक जल्द ही मरीज के शरीर में अपना जाल फैला लेता है जिसमें सांसे उलझना शुरू हो जाती है। एेसे में आक्सीजन लेवल कम होना कोरोना मरीज के लिए खतरे की बड़ी घंटी है।

कोरोना संक्रमित मरीजों की अलग-अलग स्थितियों ने हर किसी को हैरत में डाल रखा है। किसी संक्रमित मरीज के लिए एक-एक सांस लेना मुश्किल होता है तो कोई संक्रमण के बाद भी आम व्यक्ति जैसा ही स्वस्थ नजर आता है। भर्ती ६५ से ७० फीसदी मरीजों में तो लक्षण ही नजर नहीं आते हैं इसके बाजवूजद कुछ मरीज एेसे भी होते हैं जिनकी जिंदगी बचाना मुश्किल हो रहा है। चिकित्सकों के अनुसार कोरोना बीमारी में शरीर की प्रतिरोध क्षमता का महत्वूर्ण रोल है। पुरानी बीमारियों के कारण प्रतिरोध क्षमता तुलनात्मक कम हो जाती है। एेसे संक्रमण होने की स्थिति में मरीज को अधिक परेशानी होती है। इसके अलावा यदि लक्षण बढ़ रहे हैं और मरीज उपचार में देरी कर रहा है तो, इससे भी स्थिति गंभीर होने लगती है। जिले में संक्रमण से हुई अधिकांश मौतों में यही कारण सामने आए हैं। कुछ मामलों में तो चिकित्सकों को मरीज का उपचवार शुरू करने तक का समय नहीं मिला है।

 

कोरोना से एेसे लडऩे की जरूरत

– संक्रमण न हो इसके लिए सोशल डिस्टेंस का पालन। मास्क ग्लोब्ज आदि सुरक्षा सामग्रियों का उपयोग। शासन-प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी गाइड लाइन का स्वप्रेरणा से पालन।
– प्रतिरोध क्षमता बढ़ाए। जरूरी विटामिन्स, योग-व्यायाम, समय पर भोजन-नाश्ता, व्यवस्थित दिनचर्या का पालन।
– यदि शुगर, बीपी जैसी पुरानी बीमारी है तो इनका विशेष ध्यान रखें। इन्हें कंट्रोल में रखें।
– यदि कोरोना संक्रमण के जरा भी लक्षण लगते हैं तो जांच करवाने में बिलकुल देरी न करें। स्वयं को तत्काल क्वारेंटिन कर लें ताकि दूसरे प्रभावित न हों।

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