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कोविड से लडऩे के लिए बूस्टर: फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 प्लस को प्रीकॉशन डोज, 54 केन्द्रों पर…
विशेषज्ञों का कहना है – एक बार टीका लगने के बाद 4 से 6माह तक शरीर में एंटीबॉडी बनी रहती है
जिले में 338 एक्टिव केस, केवल आठ कोविड केयर सेंटर में भर्ती
उज्जैन। कोरोना की तीसरी लहर के बीच सोमवार से जिले में बूस्टर डोज (प्रीकाशन डोज) का सिलसिला प्रारंभ हो गया। इसमें पहले चरण में 60 प्लस और फ्रंटलाइन वर्कर्स को डोज लगाए जा रहे हैं। साथ ही उन लोगों को भी बूस्टर डोज लगाया जाएगा जो गंभीर बीमार है और जिनकी उम्र 60 साल से कम है।
उज्जैन में बढ़ते कोरोना मरीजों और नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे के बीच अब बूस्टर डोज लगाने के पहले चरण में इसकी शुरूआत सोमवार से हुई। इसके लिए लोगों को कोविन एप पर नए रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं थी। सोमवार को बड़ी संख्या में सीनियर सिटीजन ने टीकाकरण केंद्र पर जाकर डोज लगवाया। पहले चरण में 60 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों को, फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर व फ्रंटलाइन वर्कर को डोज लगाया जाएगा। 60 साल से कम उम्र के उन लोगों को भी डोज लगाया जाएगा, जिन्हें गंभीर बीमारी है। पहला और दूसरा डोज लगवा चुके लोगों के मोबाइल नंबर पोर्टल पर है, जहां से उनके दूसरे डोज को लगाने की तारीख से आने वाले अंतर के अनुसार सूची अपडेट हो गई है। जिसके अनुसार डोज के लिए संबंधित लोगों को एसएमएस जारी किए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एक बार टीका लगने के बाद 4 से 6 माह तक शरीर में एंटीबॉडी रहती है। बूस्टर का यह लाभ फ्रंटलाइन वर्कर और 60+ सीनियर सिटीजनों को मिलेगा।
चौंका रहा है परिवार में फैलना: निश्चितरूप से संक्रमण फैलने की गति काफी तेज है लेकिन अधिकांश मरीजों में लक्षण कम या न के बराबर है। घर में जरूरी व्यवस्था होने पर ऐसे मरीजों को होम आइसोलेशन में रख उपचार दिया जा रहा है। असिम्टोमेटिक मरीज संक्रमण के केरियर भी बन सकते हैं। बीते एक महीने में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें परिवार के सदस्य एकसाथ पॉजिटिव हुए हैं। यह स्थिति चौंकाने वाली रही। कोरोना एक ही परिवार के अनेक सदस्यों को अपनी चपेट में ले रहा है, हालांकि पॉजिटिव आने वाले जल्दी ठीक भी हो रहे हैं, पर परिवार के एक से अधिक सदस्य पॉजिटिव होने से कोरोना के स्प्रेड होने का खतरा बढ़ गया है।
बाहर से आने वाले लोग पॉजिटिव: ऐसे मामले में भी सामने आए हैं जिसमें बाहर से यात्रा कर आने वाले का सामान्य रूप से टेस्ट किया और उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई। रेलवे स्टेशन से आने वाले लोगों की जांच की जा रही है। इनकी सैंपलिंग के बाद जांच में पॉजिटिव पाए जाने वाले लोगों की सूचना जिला अधिकारियों को दी जा रही हैं। तीन पहले बाहर से आकर फिर लौट जाने वाले 13 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
जिले में 338 एक्टिव केस, केवल आठ कोविड केयर सेंटर में भर्ती
रविवार देर रात जारी रिपोर्ट के मुताबिक उज्जैन में 93 केस कोरोना पॉजिटिव आए हैं। इनमें शहर के 87 और ग्रामीण क्षेत्रों के 6 मरीज हैं। शहर के नजदीकी ग्राम ताजपुर में भी कोरोना के नए मरीज मिले हैं। यहां एक साथ तीन पॉजिटिव केस आए हैं। तीनों एक ही परिवार के बताए जा रहे हैं। जबकि बडऩगर, तराना और नागदा में एक-एक केस आए हैं। इन तीनों इलाकों में लगातार पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं। रविवार को 2191 संदिग्ध मरीजों का कोविड टेस्ट किया गया। जबकि 93 मरीजों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है। 9 मरीज होम आइसोलेशन में ही ठीक हुए। उज्जैन जिले में 338 एक्टिव केस हैं। इनमें से 330 मरीजों को होम आइसोलेट किया गया है, जबकि माधव नगर कोविड केयर सेंटर में 8 मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
कोई भी मरीज गंभीर नहीं
कोविड मरीजों के मामले में आंकड़ा तेजी से तो बढ़ रहा है, पर राहत की बात यह है कि पॉजिटिव मरीजों की स्थिति गंभीर नही है,जो माधव नगर कोविड केयर सेंटर है, उन्हें निगरानी के तौर पर रखा गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि टीके के कारण लोगों में प्रतिरोध क्षमता बढ़ी है जिसके चलते अधिकांश पर संक्रमण का गंभीर असर देखने को नहीं मिल रहा है। मरीज की स्थिति गंभीर नहीं होने से इसे अच्छा माना जाता है वहीं इससे संक्रमण के तेजी से फैलने का खतरा भी रहता है। दरअसल बिना लक्षण के मरीज यदि ट्रेस नहीं हो पाते हैं तो सामान्य लोगों की तरह ही बाहर आना-जाना व अन्य लोगों से मेलमिलाप करते हैं।