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जिपं अध्यक्ष बोले रवि शुक्ला ने चलवाई जेसीबी, नायब तहसीलदार ने दिया साथ
मंत्री पटवारी ने दिया कार्यवाही का आदेश, पीडि़तों को मकान देगा प्रशासन
तराना बायपास स्थित गरीबों के झोपड़े तोडऩा कांग्रेस नेताओं में ही विवाद का कारण बन सकता है। मंगलवार को पीडि़तों की शिकायत पर उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने तुरंत एक्शन ले लिया।
वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष करण कुमारिया ने तो सीधे आरोप लगाया कि रवि शुक्ला ने नायब तहसीलदार अरुण चौरे की मदद से झोपड़ों पर जेसीबी चलवाई है। जिपं गरीबों को पुन: पट्टे देगा और दोषियों पर कार्यवाही भी करवाएंगे।
देवासरोड स्थित सर्किट हाउस पर शाम को मंत्री पटवारी से पिपलिया बिछा बड़ले के एक दर्जन से ज्यादा लोग मिले। उन्हें बताया कि करीब २५ साल पहले पट्टे में मिली जमीन पर उनके १६ परिवार झोपड़ों में रहते थे। ९ फरवरी को नायब तहसीलदार चौरे ने जेसीबी चलवा दी।
ठंड में गरीबों को बेघर करने की घटना से द्रवित हुए मंत्री पटवारी ने तुरंत कलेक्टर शशांक मिश्र से इस संबंध में चर्चा की। बाद में जिपं अध्यक्ष कुमारिया को गरीबों की मदद का कहा। कुमारिया ने बताया सभी को लेकर जिला पंचायत कार्यालय पहुंचे। यहां अधिकारियों के सामने पीडि़तों की दास्तां सुनी।
पता चला कि उन्हें पट्टा तो गलत दिया गया था लेकिन रवि शुक्ला ने उसकी खदान की जमीन खाली करवाने के लिए जेसीबी चलवाई है। उसकी मदद नायब तहसीलदार ने की है। फिलहाल पीडि़तों को ग्राम आबादी के ५४/२ में पट्टे दे रहे फिर प्रधानमंत्री आवास में मकान मंजूर करवाएंगे।
वहीं मामले में दोषियों पर कार्यवाही करने के लिए कलेक्टर से कहेंंगे। याद रहे कुमारिया कांग्रेस नेता हंै और हाल ही में अध्यक्ष बने हैं। इस संबंध में कलेक्टर मिश्र से चर्चा का प्रयास किया लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
भ्रष्ट सरपंच-सचिव भी जिम्मेदार
कुमारिया ने बताया कि मामला सामने आने पर राजस्व रिकॉर्ड चैक किया। पीडि़तों के पट्टे का रिकॉर्ड नहीं मिला। पूछताछ करने पर मालूम हुआ कि पंचायत के तत्कालीन सरपंच-सचिव ने उनसे रुपए लेकर फर्जी पट्टे बनाकर दे दिए थे। रिकॉर्ड में जमीन सरकारी है।
रवि शुक्ला बचने की जुगाड़ में
इस संबंध में चर्चा करने पर रवि शुक्ला ने बताया कि उनके नाम से पिपलिया बिछा में कोई जमीन नहीं है। उनकी वहां खदान भी नहीं है। वे दस्तावेज भी दे सकते हैं।
रवि यह बात छुपा गए कि करीब छह वर्ष पहले उन्होंने पत्नी के नाम से खनिज विभाग से जमीन लीज पर ली थी। मामले में नायब तहसीलदार चौरे बोले की करीब छह वर्ष पहले ही जमीन से बेदखली का आदेश हुआ था। नियमानुसार कार्यवाही की है। अधिकारियों का जो भी आदेश होगा, मंजूर है।