दालों की फैक्टरियां शुरू हुई तो आवक बढ़ी मूंग 40, तुअर 10 और चना दाल 5 रु. सस्ती

लॉकडाउन में छूट मिलने का सबसे ज्यादा असर दालों की कीमतों पर दिखाई दे रहा है। लॉकडाउन में जो मूंग दाल थोक में ही 117-118 रुपए किलो में मिल रही थी अब उसके दाम 78 से 80 रुपए किलो हो गए हैं। यानी एक किलो पर सीधे 40 रुपए कम।

मूंग ही नहीं तुअर और चना दाल की कीमतों में भी कमी आई है। दौलतगंज में दालों के थोक व्यापारी ऋषभ जैन रायपुरिया ने बताया दालों की कट्‌टी 30 किलो वजन की आती है। व्यापारी मूंग दाल महाराष्ट्र, कर्नाटक व मप्र के ही कुछ जिलों से मंगवाते हैं। लॉकडाउन के दौरान रास्तें व फैक्टरियां बंद थी। तब थोक में मूंग दाल 118 रुपए किलो तक में बिकी थी। खेरची में भाव 120 से 125 रुपए थे। अब मूंग दाल की थोक कीमत 78 से 80 रुपए किलो हो गई है यानी एक किलो पर 40 रुपए कम। खेरची में ये 82 से 85 रुपए तक में बिक रही है। दरअसल लॉकडाउन में मिली छूट के बाद रास्ते खुल गए और फैक्टरियां चालू होने से दालों की आवक एकदम से बढ़ गई। इससे कीमतें घटी। मूंग दाल की तरह ही तुअर दाल के दाम भी घटे हैं। थोक में 90 से 92 रुपए किलो में मिल रही तुअर दाल अब 80 से 82 रुपए किलो में है। खेरची में 85 से 87 रुपए तक में बिक रही है। शहर में ज्यादातर तुअर दाल महाराष्ट्र की मिलों व फैक्टरियांे से आती हैं। चना दाल की कट्‌टी पर भी 150 रुपए कम हुए हैं। जो कट्‌टी 1680 रुपए में आ रही थी, अब वह 1530 रुपए में आ रही है। खेरची में 55 रुपए किलाे में ये दाल मिल रही है।

 

बारिश के बाद बढ़ सकती कीमत

दालों की कीमत में आई गिरावट में बारिश में फिर से तेजी आने की संभावना है। व्यापारियों का कहना है बारिश में भी आवक प्रभावित होने लगती है। कुछ रूट बंद हो जाते हैं। इससे कीमतों में बढ़ोतरी होती है।

 

चावल के दाम स्थिर- 40 से 125 रुपए किलो में उपलब्ध

टोटल लॉकडाउन से अब तक चावल के भाव स्थिर बने हुए हैं। थोक व्यापारी अशोक कुमार ने बताया चावल विभिन्न क्वालिटी के आते हैं। इनके भाव स्थिर बने हुए हैं। न्यूनतम 40 से अधिकतम 125 रुपए तक में चावल बाजार में उपलब्ध है। दौलतगंज बाजार में चावल पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, कटनी, अमृतसर आदि स्थानों से आते हैं।

 

सैलून-गार्डन भी खुले, नियम तोड़ने वाले दुकानदारों पर जुर्माना

शर्तों के अनुसार तैयारी के बाद बुधवार से शहर के सैलून खुल गए। इधर बिना बारी के दुकानें खोलने पर नगर निगम के अमले ने विभिन्न क्षेत्रों में व्यापरियों पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई की। बुधवार को 24 व्यापारियों पर 14400 रुपए का जुर्माना लगाया। शहर अनलॉक होने के बाद एक दिन बाएं एवं एक दिन दाएं हाथ की दुकानें खोलने के निर्देश कलेक्टर आशीष सिंह ने दिए हैं। जिन दुकानों का टर्न नहीं था, उन्हें समझाइश देने के बाद भी दुकानें खोलने पर कार्रवाई की गई। नगर निगम के राजस्व विभाग अन्य कर की टीम ने जुर्माना वसूला। इसी प्रकार शहर में बिना मास्क के घूमते पाए जाने पर भी 84 व्यक्तियों पर कार्रवाई की।

 

ग्राहक को सैलून के बाहर सैनिटाइज कर ही अंदर प्रवेश दिया जा रहा

बुधवार को अधिकांश सैलून खुल गए।  फ्रीगंज स्थित एक सैलून संचालक संतोष भाटी ने बताया दुकान खोलते ही 10 से 12 ग्राहक पहुंचे। सभी को नंबर दिए गए। दुकान में प्रवेश से पहले सैनिटाइज किया गया। काम करने वाले कर्मचारियों के लिए फेस कवर वाले मास्क और गलब्स अनिवार्य किए हैं।

 

एक महीने खेत में रखी अस्थियां, अब विसर्जित कर पाए

इंदौर के अनिल यादव व राधेश्याम ने परिजन की मृत्यु के एक महीने बाद बुधवार को तीर्थ पर होने वाले कर्मकांड कराए। एक महीने तक अस्थियां खेत पर रखना पड़ी। पुरुषोत्तम मैथिल दिवंगत बेटे की अस्थियां 45 दिन बाद श्मशान से लेकर आए और शिप्रा में विसर्जित की। प्रशासन की अनुमति के बाद रामघाट और सिद्धवट पर कर्मकांड की शुरुआत हो गई है। कर्मकांड के पहले पंडितों ने शेड और मंडपों को सैनिटाइज कराया। कर्मकांड के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया गया। अभा ब्राह्मण समाज ने इसके लिए प्रशासन को गाइड लाइन तैयार कर दी थी। इसके आधार पर प्रशासन ने सशर्त अनुमति जारी की। अध्यक्ष पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया शाम को आई अनुमति के बाद तीर्थ पुरोहितों ने तैयारी शुरू कर दी थी।

मकानों के निर्माण शुरू.. मजदूर बोले- लॉकडाउन ने सिखाया आत्मनिर्भर बनना जरूरी, अब पैसा जोड़ेंगे, दूसरों के घर बनाते हैं, अब अपना बनाएंगे

लॉकडाउन में 70 दिन तक घर पर रहे मजदूर काम पर लौटने लगे हैं। बुधवार को मजदूरों ने मकानों के निर्माण भी शुरू कर दिए हैं। लॉकडाउन में परिवार ने जो मुसीबत उठाई है, उसे याद कर वे सिहर जाते हैं।

तिरुपति सैफरॉन में मकान निर्माण कर रहे मजदूर आनंद मालवीय ने बताया ढांचा भवन में दो साल से किराए के मकान में रह रहे थे। लॉकडाउन लगा इसके बाद अप्रैल और मई का किराया नहीं दे पाए तो मकान मालिक ने अपशब्द कहे। इसके कारण मकान खाली करना पड़ा। नए किराए के मकान में रहने के लिए कर्ज लेना पड़ा। अब तय कर लिया है कि खुद का मकान बनाऊंगा। एक और मजदूर महेश कैथवास ने कहा लॉकडाउन में पार्षद ने मदद नहीं की। विधायक पारस जैन ने राशन उपलब्ध करा दिया। कैथवास ने कहा मजदूर भी अब आत्मनिर्भर बनेंगे। मिस्त्री को 500 से 700 रुपए रोज और बेलदार को 400-500 रुपए रोज मिलते हैं। अब हम रुपए जोड़कर भी रखेंगे ताकि ऐसी विपदा में मुश्किल ना हो।

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