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नगर निगम की लापरवाही, भटक रहे रहवासी
केस-१… वार्ड-२८ में जेएल जैन के नाम से जारी पत्र पहुंचाने निगमकर्मी संबंधित पते पर पहुंचा लेकिन मौके पर बैरागी परिवार निवासरत मिला। पूछने पर भवन स्वामी ने बताया कि वर्षों पूर्व ही उक्त मकान उन्होंने खरीद लिया है। संपत्तिकर भी वर्तमान भवन स्वामी के नाम से जमा होता है। उन्होंने निगमकर्मी को इसकी रसीद भी दिखाई, जिसके बाद निगमकर्मी वहां से लौट गया।
केस२…सूरजनगर निवासी भागीरथ को कुछ दिन पूर्व वर्ष २०१४-१५ से अब तक संपत्तिकर बकाया का नोटिस मिला। निगमकर्मी जब यह नोटिस लेकर संबंधित के घर पहुंचा तो भवन स्वामी ने सकते में आ गए। उन्होंने बताया कि वे संपत्तिकर पहले ही जमा कर चुके हैं। निगमकर्मी की मांग पर उन्होंने वर्ष २०१८-१९ तक संपत्तिकर जमा की रसीद दिखा दी।
उज्जैन. यह नगर निगम के लापरवाही के कुछ उदाहरण हंै, लेकिन एेसी स्थिति शहर में कई लोगों के साथ बन रही है। कहीं संपत्तिकर जमा करने के बावजूद पुराना बकाया के बिल मिल रहे हैं तो कहीं एक ही संपत्ति पर अलग-अलग नाम से पत्र जारी हो रहे हैं। यह परेशानी रेकॉर्ड अपडेट नहीं होने के कारण बनी है।
संपत्तिकर वसूली के लिए लंबे समय बाद नगर निगम द्वारा शुरू हुए सूचना पत्र जारी करने के अभियान में राजस्व बढऩे के साथ ही रेकॉर्ड को लेकर गड़बडि़यां भी सामने आ रही हैं। ज्यादा गड़बड़ी संपत्तिकर जमा होने के बावजूद बकाया के नोटिस जारी होने की सामने आ रही है। इसके अलावा एक ही संपत्ति पर संपत्ति स्वामी की अलग-अलग आइडी दर्ज होने के भी मामले सामने आए हैं। यही नहीं कुछ मामलों में तो रेकॉर्ड अपडेट नहीं होने के कारण राशि इतनी बकाया हो गई कि कुर्की वारंट तक की स्थिति बन गई। एेसे में जहां प्रभावित संपत्ति स्वामी की चिंता बढ़ रही है। वहीं निगमकर्मियों को भी परेशान होना पड़ रहा है।
नहीं होती पोस्टिंग
रसीद कट्टे के जरिए संपत्तिकर की राशि जमा करने के बाद उक्त खातेदार की जानकारी कम्प्यूटर रेकॉर्ड में दर्ज करना होती है, इसे पोस्टिंग कहा जाता है। भीड़ अधिक होने या समय की कमी के कारण कई बार नगर निगम कर्मचारी रसीद कट्टे के जरिए राशि जमा कर लेते हैं, करदाता भी जमा रसीद लेकर चला जाता है लेकिन बाद में पोस्टिंग नहीं हो पाती। इसके कारण कम्प्यूटर रेकॉर्ड अपडेट नहीं होता।
क्या करें
एेसी स्थिति में खातेदार संपत्तिकर जमा रसीद लेकर संबंधित जोन कार्यालय जाएं और हाथोंहाथ पोस्टिंग करवाकर अपना रेकॉर्ड अपडेट करवाएं।
खुलवा लेते नया खाता
एक ही संपत्ति पर दो या इससे अधिक आइडी के मामले में सामने आए हैं। यह स्थिति तब बनती है जब पुरानी आइडी बंद किए बिना उसी संपत्ति पर दूसरी आइडी शुरू कर दी जाए। दरअसल किसी व्यक्ति से संपत्ति क्रय करने के बाद क्रेता को निगम में संपत्ति का नामांतरण करवाना होता है। इसके बाद संपत्ति संबंधित जिम्मेदारी क्रेता की हो जाती है। नियमानुसार नामांतरण के दौरान बकाया कर आदि का निपटान कर पुरानी आइडी बंद करते हुए नए संपत्ति स्वामी के नाम से आइडी शुरू होना चाहिए। कुछ लोग पुरानी आइडी बंद करवाए बिना अपनी नई आइडी शुरू करवा लेते हैं। इससे एक ही संपत्ति पर दोनों आइडी रेकॉर्ड में नजर आती है ।
नामांतरण नहीं करवया है तो पहले नामांतरण करवाएं। नामांतरण है तो संबंधित दस्तावेज के साथ जोन कार्यालय पहुंंचे और रेकार्ड अपडेट करें।