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नागपंचमी व सवारी एक ही दिन, दर्शन व्यवस्था पर मंथन:कलेक्टर ने पहली बैठक लेकर समझा पुराना दर्शन प्लान
उज्जैन। सोमवार 21 अगस्त को नागपंचमी के अवसर पर विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य शिखर में तीसरे खंड पर स्थित भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर के मंदिर के पट 20 अगस्त रविवार को रात 12 बजे बाद खुलेगें। सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े के महंत की ओर से मध्य रात्रि में पूजन होगा। इस बार इसी दिन सोमवार होने से शाम को भगवान महाकाल की सवारी भी निकलना है। ऐसे में प्रशासन के सामने सामान्य श्रद्धालुओं को दर्शन कराने की व्यवस्थाओं पर मंथन शुरू कर दिया है। बुधवार को कलेक्टर ने बैठक लेकर पहले पिछले वर्ष की गई दर्शन व्यवस्था को समझा है। अधिकारी एक बार फिर दौरा कर नई व्यवस्था की तैयारी करेगें।
श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में तीसरी मंजिल पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में नागपंचमी 21 अगस्त सोमवार को दर्शन के लिए श्रद्धा का सैलाब उमड़ेगा। श्री महाकाल महालोक बनने के बाद देशभर के श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन को पहुंच रहे है। वहीं इस बार सोमवार को नागपंचमी होने के साथ ही भगवान महाकाल की सातवी सवारी भी निकलेगी। लिहाजा लाखों की संख्या में दर्शनार्थी दर्शन के लिए शहर में रहेंगे। नागपंचमी पर दर्शन व अन्य व्यवस्थाओं को लेकर बुधवार देर शाम को कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम ने मंदिर समिति के सदस्यों व अधिकारियों के साथ बैठक कर मंथन किया है। पुरानी व्यवस्थाओं की जानकारी लेने के साथ ही इस बार अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के आने की स्थिति को लेकर चर्चा की है। कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम ने कहा कि इस बार सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी के साथ ही नागपंचमी का पर्व रहेगा। बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे। इस आधार पर व्यवस्था करने के लिए प्रारंभिक बैठक ली है। अधिकारी मंदिर जाकर भी दर्शन व्यवस्था की स्थिति देखकर अगली बैठक में रखेंगे। इसके बाद जो स्थिति रहेगी उसके अनुसार दर्शन व्यवस्था तय की जाएगी। बता दें कि पिछले वर्ष ही मंदिर के विश्राम धाम से नागचंद्रेश्वर मंदिर तक फुट ओवर ब्रिज का निर्माण किया है। जिसके माध्यम से पिछले वर्ष श्रद्धालुओं को सहजता से दर्शन हुए थे। बैठक में एसपी सचिन शर्मा, समिति सदस्य महंत विनीत गिरी महाराज, राजेंद्र शर्मा, राम पुजारी, प्रदीप पुजारी, मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी, सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल सहित अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे।
वर्ष में एक बार ही दर्शन को पहुंचते है श्रद्धालु-
महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर का दरबार वर्ष में केवल एक बार 24 घंटे के लिए खुलता है। इस दिन दर्शनार्थियों को दर्शन के लिए प्रवेश दिया जाता है। इस बार 20 अगस्त रविवार रात 12 बजे बाद महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज और सहयोगियों द्वारा भगवान नागचंद्रेश्वर के पट खोले जाएगें। अखाड़े की ओर से पूजन के बाद आम श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए पिछले वर्ष तैयार किए गए फुट ओवरब्रिज से होकर मंदिर तक पहुंचने की व्यवस्था रहेगी।
पिछले वर्ष ही बनाया है नया फुट ब्रिज-
नागपंचमी पर भक्तों को भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कराने के लिए पहली बार फुट ओवर ब्रिज का निर्माण श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा से जुड़े महाकाल भक्त द्वारा किया गया है। मंदिर के विश्राम धाम से नागचंद्रेश्वर मंदिर की छत तक यह सेतु 27 मीटर 422 एम.एम. (लगभग 91 फीट) लंबा व 10 फीट चौडा है, जिसमें 5 फीट आने व 5 फीट जाने का मार्ग है। सेतु के लिए 5 मजबूत खंबे तैयार किए है। जिसका कोई भार प्राचीन मंदिर पर नही है। सेतु को लगाने के लिए मंदिर परिसर में 5 खंबे के लिए बनाये गए फाउण्डेशन की गहराई भी करीब 10 फीट रखी है। जिससे ब्रिज की मजबूती बनी रहे।
फिलहाल पुरानी व्यवस्था पर हुआ चिंतन-
नागपंचमी के लिए कलेक्टर के साथ पहली बैठक में पिछली बार की व्यवस्था पर मंथन हुआ है। श्री नागचन्द्रेश्वर के सामान्य दर्शन के लिए आने वाले दर्शनार्थी भील समाज की धर्मशाला में वाहन पार्क कर दातार अखाड़ा की गली से चारधाम मंदिर के झिकझेग से होकर हरसिद्धी मंदिर चौराहा से होते हुए बड़ा गणेश मंदिर के सामने से मंदिर के चार नबंर गेट और फिर विश्राम धाम पहुंचेगें। विश्राम धाम की रैलिंग से नए ब्रिज के माध्यम से नागचन्द्रेश्वर मंदिर पहुंचकर दर्शन के बाद वापस विश्राम धाम से होकर मार्बल गलियारे से मंदिर के मुख्य पालकी गेट से बाहर होगें। इसी तरह भगवान महाकालेश्वर के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को हरसिद्धि जिकजेक से त्रिवेणी संग्रहालय एवं त्रिवेणी संग्रहालय से महाकाल लोक होकर मानसरोवर प्रवेश द्वार से होकर दर्शन करवाये जाएंगे।
शीघ्र दर्शन व्यवस्था-
नागचंद्रेश्वर मंदिर में शीघ्र दर्शन टिकट लेने वाले दर्शनार्थी चारधाम मंदिर की ओर से आकर हरसिद्धी मंदिर चौराहे से शामिल होकर दूसरी कतार से सामान्य दर्शनार्थी के साथ ही मंदिर तक पहुंचेगे। वापसी में मुख्य गेट से बाहर होकर वापस हरसिद्धी चौराहे तक पहुंच सकेंगे।
वीआईपी व्यवस्था-
नागपंचमी पर्व पर मंदिर आने वाले वीवीआईपी के लिए निर्माल्य गेट से प्रवेश कराने के बाद सभा मंडप के ऊपर से होकर रैंप से विश्राम धाम पहुंचकर नए ब्रिज से दर्शन के बाद इसी मार्ग से वापसी हो सकती है। दूसरा विकल्प महाकाल मंदिर के नैवेद्य द्वार के समीप नागचंद्रेश्वर मंदिर के पुराने चढ़ाव से भी मंदिर तक ले जाया जा सकता है। वापसी में भी सहजता होगी।
(दर्शन का यह पुराना प्लान है। इस वर्ष अन्य व्यवस्था होने से कुछ फेरबदल संभव है। अंतिम प्लान कलेक्टर की बैठक में तय होगा