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पीक पर आ रहा उज्जैन: 9 माह में सात बार ट्रेंड बदला, अब बुखार के साथ में वीकनेस
उज्जैन में कोरोना के संक्रमण की शुरूआत मार्च से हुई और उसके बाद नौ माह में सात बार ट्रेंड बदल चुका है। हर बार पुराने के साथ में नए लक्षण देखे गए। संक्रमण की शुरुआत गले के रोग जैसे सर्दी-खांसी व बुखार से हुई, उसके बाद सांस के मरीज बढ़े और अब बुखार के साथ मरीजों में वीकनेस हो रही है।
खास बात तो यह भी की स्वस्थ होने और रिपोर्ट निगेटिव आने तथा हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद भी मरीजों में कमजोरी बनी हुई है। नए लक्षण में सिरदर्द, मुंह का स्वाद बदलना या गंध नहीं आना आदि सामने आए हैं। सांस की तकलीफ फेफड़ों में घावों और निमोनिया का कारण बन रही है।
इनमें से कुछ लक्षण फ्लू के साथ ओवरलैप करते हैं। मरीजों में गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल की समस्या बढ़ गई है। त्योहारों पर लोगों की आपस में कनेक्टिविटी बढ़ने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने तथा मास्क नहीं पहनने की वजह से मरीज बढ़ गए हैं।
17 नवंबर को 23 मरीजों के पॉजिटिव आने के बाद उज्जैन के पीक की ओर जाने की चिंता और बढ़ गई है। वायरस का असर 50 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों के अलावा मोटापा, डायबिटीज, बीपी, हार्ट या अन्य कोई गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों पर ज्यादा हो रहा है।
इनका कहना
50 प्लस लोगों में संक्रमण ज्यादा पाया जा रहा है। उनमें भूख नहीं लगने और मुंह का स्वाद चले जाने जैसे लक्ष्मण सामने आ रहे हैं। वायरस का असर होने की वजह से ऐसा हो रहा है।
-डॉ. एचपी सोनानिया, नोडल अधिकारी कोविड-19
विभाग ने सैंपलिंग घटाई फिर भी मरीज बढ़े
स्वास्थ्य विभाग द्वारा सैंपलिंग घटा दी है लेकिन मरीजों की संख्या फिर भी बढ़ रही है। अक्टूबर की तुलना में मरीज कम है। अक्टूबर में 718 मरीज पॉजिटिव पाए थे और 17 नवंबर तक की स्थिति में 184 पॉजिटिव पाए जा चुके हैं।
ऐसे बदलता गया ट्रेंड
सर्दी-खांसी और बुखार तथा सांस की तकलीफ से शुरूआत हुई। ओल्ड एज के लोगों को भूख नहीं लगना। मुंह का स्वाद बदलना व गंध आना। सिरदर्द, शरीर के हिस्से में दर्द बना रहना। गैस्टोइंटेस्टाइनल, दस्त की परेशानी बढ़ना। मरीजों में लगातार कमजोरी बनी रहना। छाती में दर्द या दबाव, होंठ नीले पड़ जाना।
नोट-जानकारी आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नोडल अधिकारी डॉ. सुधाकर वैद्य के अनुसार।