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बेगुनाह पिता को हिरासत में रखा, इलाज न मिलने से बच्ची की मौत
उज्जैन | माधवनगर थाने में तीन दिन तक बगैर जुर्म के हिरासत में रहने वाले सूरज ने कहा- थाने में खूब गिड़गिड़ाया, कहा- छोड़ दो, बेटी बीमार है, इलाज नहीं मिला तो मर जाएगी, परिवार के लोगों ने भी थाने आकर पुलिस से गुहार लगाई लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी। पुलिस वालों ने मारपीट की, थप्पड़ मारे। टीआई ने 50 हजार रुपए मांगे। नहीं दिए तो तीन दिन बाद छोड़ा, समय पर इलाज नहीं मिला तो मेरी ढाई साल की बेटी की मौत हो गई। ऐसे पुलिस वालों को निलंबित करने से कुछ नहीं होगा, जैसे मैं सलाखों में रहा, वैसे ही उन्हें भी सलाखों में देखना चाहता हूं, उनके खिलाफ पुलिस केस दर्ज किया जाएं।
बुधवार सुबह एसपी ऑफिस के सामने ढाई घंटे बेटी के शव को लेकर बैठा सूरज इंसाफ की गुहार लगा रहा था। पुलिस अफसर चुपचाप उसकी बात सुनते रहे। एसपी सचिन अतुलकर के सामने मृतका की दादी लक्ष्मीबाई मकवाना सहित अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि बच्ची की मौत के लिए माधवनगर पुलिस जिम्मेदार है। एसपी ने कहा- आपके सामने टीआई एमएस परमार, सब इंस्पेक्टर विजय सनस और आरक्षक राकेश चौधरी को सस्पेंड कर रहा हूं, तीनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। इधर भास्कर से चर्चा में मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ.राघवेंद्र शर्मा ने कहा मामले की जानकारी लेने के लिए आयोग के सदस्य को भेजा जाएगा। जांच कराएंगे।
भाजपा नगराध्यक्ष ने कहा- मैंने भी फोन लगाया पर सूरज काे नहीं छोड़ा
भाजपा नगराध्यक्ष इकबालसिंह गांधी ने सोमवार रात माधवनगर थाने पर फोन लगाकर कहा था व्यक्ति निर्दोष है तो छोड़ दो लेकिन पुलिस ने अनदेखा कर दिया। गांधी ने बताया कार्यकर्ता मेरे पास आए थे।
कानूनी पक्ष… पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी दर्ज हो सकता है केस
हाईकोर्ट एडवोकेट वीरेंद्र शर्मा ने बताया जब तक आरोपी नहीं बनाया जाता, किसी को हिरासत में नहीं रख सकते। यदि कोई ऐसा करता है तो वह धारा 342 के तहत अपराध है। सूरज के मामले में पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हो सकता है।
टीआई की सफाई- मारपीट की घटना में कौन 50 हजार रुपए देगा, आरोप झूठे
टीआई परमार ने कहा मारपीट की घटना में कौन 50 हजार देगा, आरोप कुछ भी लगा सकते हैं। दोनों भाइयों को हिरासत में रखने की वजह सिर्फ यह थी, घायल परिवार उत्तेजित होकर उन पर हमला न कर दें। टार्चर करने का आरोप सही नहीं है। मुझसे बच्ची को लेकर बात भी नहीं की।
दोषी पुलिस अफसरों पर केस दर्ज करने की मांग, एसपी बोले- विभागीय जांच होगी
सूरज-मुझे पुलिस वाले थाने में लप्पड़ मारते रहे, कह रहे थे तेरा भाई नहीं आएगा तब तक नहीं छोड़ेंगे।
एसपी- यह बिल्कुल गलत है, निर्दोष व्यक्ति को बैठाने का अधिकार ही नहीं।
सूरज- डॉक्टर मुझसे बोले, बच्ची को लाने में देर कर दी, उनसे क्या कहता कि थाने में बंद था।
एसपी- पुलिस ने गलत किया, मानकर चले ऐसे पुलिसकर्मी थाने में नहीं रहेंगे।
सूरज- जैसे मैं सलाखों में रहा, वैसे ही वे पुलिसकर्मी भी रहे, प्रकरण दर्ज करो।
एसपी- निलंबित कर चुका हूं और विभागीय कार्रवाई भी होगी।
(एसपी ऑफिस में हुई चर्चा के अंश)
गाड़ी टकराने पर हुआ था विवाद, सूरज के भाई ने मारा था चाकू
रविवार की रात बागपुरा में गाड़ी टकराने पर संतोष नामक युवक से दिलीप मकवाना का झगड़ा हुआ था। कुछ देर बाद दिलीप ने संतोष को चाकू मार घायल कर दिया। माधवनगर पुलिस ने उसके खिलाफ प्राणघातक हमले की धारा 307 में कायमी कर ली। रात डेढ़ बजे पुलिस उसे पकड़ने घर गई जहां दिलीप तो नहीं, उसके भाई सूरज व आनंद थे। पुलिस दोनों को ले आई। चचेरे भाई नितेश ने बताया हम दो दिन तक लगातार थाने गए पर पुलिस ने सूरज को नहीं छोड़ा। मंगलवार दोपहर को दिलीप सरेंडर हो गया, इसके बाद बाद भी शाम तक सूरज व आनंद को बैठाए रखा। घर आने पर सूरज बच्ची को सिविल अस्पताल ले गया। वहां से डॉक्टर ने रैफर कर दिया। इसके बाद तीन प्रायवेट अस्पताल ले गए।