ब्लैक फंगस बना चुनौती:जिले में 60 रोगी, इनमें से 25 के ऑपरेशन हुए लेकिन इंजेक्शन नहीं हैं

जिले में कोरोना ताे कंट्रोल में आता दिखाई दे रहा हैं लेकिन ब्लैक फंगस चुनौती बनता जा रहा है। बुधवार तक जिले में ब्लैक फंगस के 60 रोगी अस्पतालों में भर्ती रहे। इनमें से 25 के ऑपरेशन कर दिए हैं लेकिन जरूरी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. सुधाकर वैध ने कहा कि 60 में से 34 रोगियों को आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में व चार चेरिटेबल अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से दस रोगियों के ऑपरेशन उन्होंने बुधवार को ही किए। भर्ती में से तीन-चार मरीज ऐसे भी हैं जिन्हें निमोनिया व कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस की शिकायत है।

300 इंजेक्शन की डिमांड प्रशासन को भेजी जा रही है। इधर ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र बंसल ने बताया कि ब्लैक फंगस वाले रोगी को उसकी कंडीशन के आधार पर सात से दस दिन तक रोज छह इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। यानी एक रोगी को 42 से 60 इंजेक्शन तक की जरूरत रहती है।

ब्लैक फंगस के लिए एक कैप्सूल भी थोड़ा कारगर है लेकिन यह भी बहुत महंगा है, तीन हजार रुपए का एक आता है। एक रोगी को यह कैप्सूल 15 से 20 दिन तक सुबह-शाम दोनों समय लेना पड़ता है। इंजेक्शन से लेकर अधिकांश दवाई नहीं मिल रही हैं।
डॉक्टरों के पास चार गुना मरीज
शहर में ईएनटी के करीब 20 विशेषज्ञ हैं। ब्लैक फंगस की जांच करवाने इनके पास पहले की तुलना में अब तीन से चार गुना तक रोगी पहुंच रहे हैं। कुछ रोगी मोबाइल पर भी कंसल्ट कर रहे हैं। ज्यादातर रोगी ब्लैक फंगस से बचने के घरेलू उपाय व इलाज के बारे में पूछते हैं।

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