महाशिवरात्रि… भगवान महाकाल का होगा विशेष पूजन, देशभर से दर्शन के लिए जुटेंगे श्रद्धालु

रोशनी से जगमगाया राजाधिराज का दरबार

उज्जैन। महाशिवरात्रि पर्व 4 मार्च को मनाया जाएगा एवं 5 मार्च को बाबा महाकाल को सेहरा बंधेगा एवं उनका विशेष पूजन किया जाएगा। महाशिवरात्रि पर्व के चलते दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मंदिर परिसर में लाइट डेकोरेशन किया गया है जो कि आकर्षण का केंद्र है।

महाकाल मंदिर के समीप कोटितीर्थ कुंड है जिसका जल बाबा महाकाल को चढ़ाया जाता है। कुंड के समीप कोटेश्वर महादेव मंदिर है जिसका उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है लेकिन कुंड की साफ-सफाई की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है, जबकि अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पानी का जो कुंड है उसकी सफाई व्यवस्था देखते ही बनती है। महाकाल के कुंड में जल की आवक इतनी है कि कई मोटरें लगाने खाली करने के बाद कुछ घंटे में वापस कुंड भर जाता है।

24  घंटे में पांच बार आरती

24 घंटे के अंंदर बाबा महाकाल की भस्मारती सहित पांच आरती होती है लेकिन सुबह 11 बजे होने वाली आरती इन दिनों एक-डेढ़ घंटा लेट हो रही है। बाबा महाकाल का पूजन करके उन्हें प्रतिदिन आकर्षक रूप से सजाया जा रहा है। रोज दर्शन करने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

पक्षी लगाते हैं परिक्रमा
यूं तो वर्षभर पक्षी महाकालेश्वर मंदिर के आसपास परिक्रमा लगाते हैं लेकिन महाशिवरात्रि आने से पहले पक्षियों की संख्या बढ़ जाती है और महाशिवरात्रि पर इनकी संख्या हजारों में पहुंच जाती है और महाशिवरात्रि के बाद फिर पक्षियों की संख्या कम हो जाती है। कई वर्षों से पक्षी बाहर से आकर नियम से महाकालेश्वर मंदिर की परिक्रमा करते हैं।

इसलिए महिलाओं का भस्मारती देखना मना
पं. रवि व्यास के मुताबिक महिलाओं को भस्मारती के दौरान भगवान को भस्म चढ़ाते समय देखना मना है क्योंकि भस्म एक प्रकार से भगवान का वस्त्र है और वस्त्र बदलते समय भगवान को नहीं देखना चाहिए लेकिन जिन्हें इस बात की जानकारी है वह भी श्रद्धालुओं को इसकी जानकारी नहीं देते हैं जिससे भ्रम की स्थिति निर्मित होती है।

वृद्ध श्रद्धालुओं को होती है परेशानी
महाकालेश्वर के दर्शन करने देशभर से श्रद्धालु आते हैं। इनमें कई वृद्ध भी होते हैं। दर्शन करने के लिए कहां से प्रवेश करना है और कहां से बाहर निकलना है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं रहती है। यदि कुछ स्थानों पर इस बाबत बोर्ड लगा दिए जाएं तो वृद्ध श्रद्धालुओं को सुविधा हो सकती है।

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