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मानसिक नि:शक्त बालिका से किया था रेप, मरते दम तक रहेगा जेल में
Ujjain News: पीडि़त बालिका ने इशारों में बताया था आरोपी अंगुली पकड़कर ले गया था
उज्जैन. मानसिक व शारीरिक रूप से नि:शक्त एक बालिका को स्कूल के बाथरूम में ले जाकर बलात्कार करने वाले आरोपी मनोहर (49) उर्फ मामा पिता भागीरथ चौहान निवासी ग्राम टंकारिया पथ उज्जैन को शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने पीडि़ता को प्रतिकर प्रदाय करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भी लिखा है।
उपसचांलक अभियोजन डॉ साकेत व्यास ने बताया कि पीडि़ता की मां ने 27 जनवरी 2017 को नीलगंगा थाने पर रिपोर्ट लिखवाई कि वह 25 जनवरी 2017 की सुबह करीब 8 बजे इंदौर चली गई थी। रात में घर आई तो स्कूल में खाना बनाने वाली बाई ने बताया कि 25 जनवरी की दोपहर 3 से 3.30 बजे के बीच उसकी लड़की को आरोपी मनोहर स्कूल की बाथरूम में ले गया तथा उसके साथ कुछ हरकतें की। स्कूल के बच्चे बाथरूम में गए तो दरवाजा बंद होने पर उन्होने शोर मचाया, तभी दरवाजा खोलकर आरोपी मनोहर भाग गया। पीडि़ता अन्दर मिली थी उससे पूछा तो उसने इशारे में बताया कि मनोहर हाथ पकड़कर स्कूल के बाथरूम में ले गया था तथा उसके साथ गलत काम किया। इसके बाद नीलगंगा पुलिस ने प्रकरण दर्ज करते हुए न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया। इस पर कोर्ट ने आरोपी का सजा सुनाई।
विश्ेाषज्ञ से लड़की के बयान दर्ज करवाए
प्रांरभ में लड़की से पूछताछ करने पर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाई थी। इस पर मूकबधिर जिला विकलंाग पुर्नवास केन्द्र के विशेषज्ञ एमआर व एसआइ को तलब कर परीक्षण मौखिक कराया गया। दोनों ने अभिमत दिया कि उक्त लड़की शरीर एवं दिमागी तौर पर काफी कमजोर है, जिसके कारण आई क्यू टेस्ट कराए जाने के उपरांत किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा। आइक्यू टेस्ट में में लड़की के कथन मूकबधिर स्पेशलिस्ट मोनिका पुरोहित से कराए गए। इसके अलावा लड़की के कथन विशेष प्रबोधक के माध्यम से लेखबद्ध भी कराए। इसमें लड़की ने अंगुलियों के इशारों से बताया था कि आरोपी द्वारा उसके साथ बलात्कार किया गया है।
ऐसे आरोपी को समाज में रहने का अधिकार नहीं
कोर्ट ने अपने फैसले में आरोपी को लेकर टिप्पणी भी की। कोर्ट ने कहा कि समस्त स्थिति को देखते हुए अभियुक्त मनोहर उर्फ मामा ने एक ऐसी बालिका जो मानसिक एवं शारीरिक रूप से नि:शक्त है, उसके साथ विद्यालय जैसे पवित्र स्थान पर बलात्कार किया है। यह आरोपी की घृणित मानसिकता को प्रकट करता है। ऐसे दूषित मानसिकता के व्यक्ति को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है।