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लोकसभा चुनाव… नाम घोषित करने में बाजी मार सकती है कांग्रेस
पैनल से दो नाम बाहर, मालवीय का पलड़ा भारी, सिलावट दूसरे नंबर पर
लोकसभा चुनाव को लेकर उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र के लिए कांग्रेस की प्रत्याशी की तलाश संभवत: खत्म हो गई है। अब तक की कवायद के बाद चार दावेदारों की पैनल में से भी दो बाहर हो गए हैं।
संगठन अब सिर्फ दो नामों पर केंद्रित हो गया है। इनमें तराना के पूर्व विधायक बाबूलाल मालवीय और कैबिनेट मंंत्री तुलसी सिलावट के पुत्र नितेश में से किसी एक को जल्द ही हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस इस बार प्रचार में भी आगे निकलने के लिए जल्दी प्रत्याशी घोषित कर सकती है।
कांग्रेस ने लोकसभा प्रत्याशी चयन प्रकिया शुरू करते हुए हाल ही में जिला प्रभारी सुनील सूद को यहां भेजा था। सूद ने यहां कांग्रेस कार्यालय में दावेदारों को बायोडाटा देने के साथ चुनाव के संबंध में चर्चा के लिए बुलाया था।
उज्जैन-इंदौर से करीब ३६ नेताओं ने दावेदारी करते हुए खुद को जिताऊ उम्मीदवार होने के कारण बताए थे। सूद ने यहां के वरिष्ठ नेताओं से भी चर्चा की थी, कुछ ने तराना विधायक महेश परमार को भी मजबूत उम्मीदवार बताया था।
इन्हीं में से चार दावेदारों को पैनल में शामिल किया गया था। इनमें तराना के बाबूलाल मालवीय, राजेंद्र मालवीय, आर्य समाज मार्ग के नरेंद्र कछवाय व इंदौर के नितेश सिलावट के नाम थे।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार सूद ने भोपाल जाकर चुनाव समिति के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ को यह रिपोर्ट सौंप दी थी। यहां रायशुमारी के बाद राजेंद्र व नरेंद्र का नाम भी दावेदारों की सूची से बाहर हो गया।
बाबूलाल मालवीय और नितेश सिलावट के नाम सहित पूरी रिपोर्ट हाईकमान को भेजने की तैयारी की जा रही है।
परमार की जीत से भी डर
सूत्रों के अनुसार सर्वे रिपोर्ट में तराना विधायक परमार को सबसे मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है लेकिन प्रदेश प्रभारी बावरिया के बाद सीएम कमलनाथ ने भी उनके नाम को नकार दिया।
वजह संभवत: अगर परमार जीत भी गए तो तराना की सीट निकल पाएगी की नहीं अगर नतीजा उम्मीद अनुसार नहीं निकला तो प्रदेश सरकार पर संकट आ सकता है। वहीं परमार को मैदान में उतारने पर अन्य विधायक व मंत्री भी दावेदारी कर सकते हैं।
इसलिए मौजूदा विधायक व मंत्रियों को उम्मीदवार नहीं बनाना तय किया है। याद रहे प्रदेश में कांग्रेस के ११४ विधायक हैं। अल्पमत में होने से सरकार को निर्दलीय, बसपा व सपा के दबाव में रहना पड़ता है।
मालवीय इसलिए मजबूत
- बाबूलाल मालवीय: लोकसभा क्षेत्र में ४ लाख बलाई समाज के वोटर हंै। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह का समर्थक होने से स्थिति मजबूत है।
- सहज सरल होने से सीएम ने विरोध नहीं किया। हारने के बाद भी जनता से जुड़े रहने से अच्छी छवि है।
- पूर्व में राज्यमंत्री रहे हैं। पत्नी के साथ हुए हादसे के कारण भी सहानुभूति।
- नितेश सिलावट: प्रदेश के कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट के पुत्र हंै। कई सालों से इंदौर की राजनीति में सक्रिय रहे। सिलावट सिंधिया गुट से आते हैं।
- समाज के वोटरों की संख्या भी काफी है।
- संभवत: जिले के प्रभारी मंत्री सज्जन वर्मा के पुत्र पवन को देवास-शाजापुर से टिकट नहीं मिलने पर नितेश की दावेदारी कमजोर हो सकती है।