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विश्वविद्यालय का इंजीनियरिंग विभाग ठेकेदार के भरोसे:बजट की कमी नही, संसाधनों का अभाव
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में जर्जर होते भवनों के लिए राशि तो करोड़ में स्वीकृत है, लेकिन इंजीनियरिंग विभाग अमले की कमी होने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लेते है। विभाग में कुल जमा दो इंजीनियर सहित दस कर्मचारियों का अमला काम करता है। ऐसे में वार्षिक बजट होने के बाद भी राशि का उपयोग नही किया जाता है। ऐसी स्थिति में ठेकेदार के माध्यम से ही कार्य कराया जाता है।
विक्रम विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग को संधारण कार्य के लिए राशि तो करोड़ों में मिलती है, लेकिन पूरे वर्ष में संधारण कार्य हो पाते हैं या नहीं इसकी जानकारी कोई नहीं लेता है। इंजीनियर विभाग के ही अधिकारियों की माने तो विभाग के पास संसाधन और कर्मचारियों की कमी है। मौजूदा स्थिति में विभाग के पास दो इंजीनियर, एक मिस्त्री, दो इलेक्ट्रीशियन, एक कारपेंटर, एक प्लंबर और तीन मजदूर है। वर्ष भर इसी स्टॉफ से कार्य किया जाता है। इंजीनियरिंग विभाग का कहना है कि विश्वविद्यालय कैंपस के रिनोवेशन कार्य के लिए करीब 5.30 करोड़ रुपए का ठेका पटेल कंस्ट्रक्शन को दिया है। यह राशि रूसा के माध्यम से दी गई है। खास बात यह है कि रूसा की राशि से सालाना रिनोवेशन के कार्य केवल अध्ययनशाला और प्रशासनिक भवन में ही इस राशि से होंगे। रख रखाव का ठेका होने के बावजूद ए और बी ब्लॉक के हॉस्टल में सुधार कार्य करने के लिए 30 लाख की स्वीकृति दी गई है। यह कार्य भी पटेल कंट्रक्शन कंपनी को ही दिया गया है।
वार्षिक बजट में 3 करोड़ 15 लाख का प्रावधान
विक्रम विश्वविद्यालय में संधारण कार्य पर कितनी राशि खर्च की जाती है। विश्व विद्यालय के वार्षिक बजट में सत्र 2022-23 के लिए इंजीनियरिंग विभाग को 3 करोड़ 15 लाख रुपए का प्रावधान सालाना रिनोवेशन के लिए किया गया है।
इन विभागों के लिए राशि निर्धारित
प्रशासनिक भवन अतिथि गृह- 1 करोड़ रुपए
आवासीय भवन- 1 करोड़ रुपए
शैक्षणिक संस्थान, छात्रावास, पुस्तकालय- 1 करोड़ 90 लाख रुपए
कैंपस की सड़कें सरोवर सहित 15 लाख रुपए
(आंकड़े विश्वविद्यालय के सत्र 22- 23 के वार्षिक बजट से)