शासन को लगाया 23 करोड़ 37 लाख का चूना

उज्जैन-जावरा टू लेन का टोल वसूलने वाली कंपनी का कारनामा…

एस्क्रो खाते में जमा उपभोक्ता शुल्क को दूसरे बैंक में जमा किया, कंपनी डिफाल्टर हुई

उज्जैन। म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा वर्ष 2010 में उज्जैन-जावरा टू लेन सड़क निर्माण बीओटी योजना के अंतर्गत कराया गया। ठेका लेने वाली कंपनी ने सड़क निर्माण पूर्ण होने के बाद वाहन चालकों से टोल वसूला गया जिसे एमपीआरडीसी और कंसेशनर के ज्वाइंट अकाउंट में जमा न करते हुए दूसरी बैंक खाते में जमा कर करोड़ों की राशि की हेराफेरी की गई। एमपीआरडीसी के सहायक महाप्रबंधक की रिपोर्ट पर कंपनी के निदेशकों के खिलाफ धारा 420 के तहत केस दर्ज कराया गया।

एमपीआरडीसी के संभागीय प्रबंधक एस.के. मनवानी ने बताया कि वर्ष 2010 में शासन द्वारा उज्जैन-उन्हेल-नागदा-जावरा मार्ग परियोजना स्वीकृत करने के बाद बीओटी योजना के तहत मेसर्स टापवर्थ इन्फ्रा. प्रा.लि. कंपनी को अनुबंध कर ठेका दिया गया था। टू लेन सड़क निर्माण के बाद उक्त कंपनी को वाहनों का टोल वसूलकर एमपीआरडीसी व कंसेशनर के ज्वाइंट अकाउंट में राशि जमा करना थी। वर्ष 2018 से 2020 के बीच कंपनी द्वारा उक्त राशि एस्क्रो खाते में जमा न की जाकर दूसरी बैंक के खातों में रुपये जमा कर धोखाधड़ी की गई। इस पर कंपनी के निदेशक सुरेन्द्र चंपालाल लोढ़ा और दीपक मनोहर कटकवार के खिलाफ धारा 420 के तहत 23 करोड़ 37 लाख की धोखाधड़ी का केस दीपक शर्मा पिता सालिगराम शर्मा निवासी प्रशांति एवेन्यू इंदौर रोड़ सहायक प्रबंधक म.प्र. सड़क विकास निगम की ओर से नीलगंगा थाने में दर्ज कराया गया है।

20 वर्ष के लिये टोल का अधिकार दिया था

संभागीय प्रबंधक मनवानी के अनुसार मे. टापवर्थ इन्फ्रा प्रा.लि. कंपनी को बीओटी परियोजना के तहत बैंक से ऋण लेकर टू लेन सड़क निर्माण के बाद 20 वर्ष तक रियायत अवधि में टोल वसूलने का अधिकार दिया गया साथ ही उपभोक्ता शुल्क एस्क्रो खाते में जमा किया जाना था जिसे डायवर्ट कर कंपनी ने राशि का गबन कर लिया।

अब एनसीएलटी के कंट्रोल में टोल

सड़क निर्माण के बाद टोल वसूलने वाली कंपनी डिफाल्टर होने के बाद वर्तमान में उज्जैन-उन्हेल-नागदा-जावरा टू लेन के टोल को एनसीएलटी ने अपने कंट्रोल में ले लिया है और टोल वसूलने का काम भी उन्हीं के द्वारा किया जा रहा है, जबकि मे. टापवर्थ इन्फ्रा प्रा.लि. कंपनी को डिफाल्टर घोषित किया जा चुका है। प्रबंधक मनवानी के अनुसार डिफाल्टर एजेंसी के टोल को एनसीएलटी अपने हाथों में लेकर टोल का संचालन करती है।

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