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शासन ने राशि नहीं भेजी तो महापौर पहुंची भोपाल, मांगे 463 करोड़
गंभीर में नर्मदा का पानी पहुंचाने की योजना तैयार, अब फंड का इंतजार, पाइप लाइन डालने के खर्च सहित अन्य विकास कार्यों के फंड को लेकर मंत्री जयवर्धन से चर्चा
उज्जैन. नर्मदा नदी के पानी को गंभीर डैम तक पहुंचाने के लिए नई पाइप लाइन बिछाने की योजना को नगर निगम ने महीनों पहले मंजूरी तो दे दी लेकिन फंड की कमी में काम शुरू नहीं हो पाया है। एेसे में महापौर ने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह से जरूरी फंड उपलब्ध करवाने की मांग की है। इसके साथ ही ४६३ करोड़ रुपए के कार्यों के प्रस्ताव भी दिए हैं।
फंड की कमी के चलते शहर में कई जरूरी कार्य नहीं हो पा रहे हैं। यहां तक कि बारिश में खराब हुई सड़कों के निर्माण को लेकर भी शासन से राशि नहीं मिली है। बुधवार को महापौर मीना जोनवाल व एमआइसी सदस्यों का प्रतिनिधि मंडल भोपाल में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धनसिंह से मिला और विभिन्न कार्यों के लिए 463 करोड़ रुपए के अनुदान प्रस्तावों की राशि जल्द देने की मांग की है। इसके अलावा शासन से विभिन्न मदों में मिलने वाली राशि इस बार कम मिलने की भी जानकारी दी। जोनवाल के अनुसार मंत्री ने राशि उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया है। प्रतिनिधि मंडल में एमआइसी सदस्य सत्यनारायण चौहान, राधेश्याम वर्मा, मांगीलाल पटेल, नीलू रानी खत्री, योगेश्वरी राठौर, दुर्गासिंह चौधरी, गीता चौधरी, करुणा जैन शामिल थे।
इन कार्यों के लिए मांगी राशि
पाइप लाइन- एनवीडीए द्वारा नर्मदा गंभीर लिंक परियोजना के अंतर्गत ग्राम उज्जैनी से उज्जैन के त्रिवेणी स्टॉप डैम तक दो हजार एमएम व्यास की पाइप लाइन सिंचाई व पेयजल के लिए डाली है। पाइप लाइन से गंभीर बांध तक एक हजार एमएम व्यास की करीब 8 किलोमीटर लंबी लाइन डलना है। इस पर करीब 22 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
सड़क सुधार- बारिश में शहर की सड़कें खराब हो गई थीं। नगर निगम ने नवनिर्माण व सुधार के लिए 13 करोड़ 59 लाख 91 हजार रुपए का प्रस्ताव शासन को भेजा था लेकिन राशि आवंटित नहीं हुई। निगम ने अपनी जेब से कुछ जगह पैचवर्क व डामरीकरण करवाया। सड़कों की हालत अभी भी खराब है।
सीवरेज योजना- सीवरेज के पहले चरण में शहर के 17 वार्डों को शामिल नहीं किया गया है। उक्त वार्डों में भी सीवर लाइन बिछाने के लिए अनुमानित 420 करोड़ 99 लाख रुपए की आवश्यकता है।
पशु शवदहन- मृत पशु शवदहन यूनिट स्थापित करने की योजना है। इसमें मृत पशुओं का बिजली के माध्यम से शवदाह किया जा सकेगा। तीन साल के संधारण सहित यूनिट लगाने में करीब ६ करोड़ रुपए खर्च होंगे।
लीचेट ट्रीटमेंट प्लांट– नगर निगम के पास सैनेटरी लेडफिल से उत्पन्न लीचेट के उपचार के लिए कोई तंत्र उपलब्ध नहीं होने के कारण गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउंड में 50 क्युबिक मीटर प्रति दिन क्षमता का ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना है। इसके लिए 2 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।