शिप्रा और शहर की पवित्रता के लिए धरना जारी

संत-महंत बोले-नहीं हटेंगे, डटे रहेंगे, चेतावनी दी लिखित आश्वासन पर ही खत्म होगा आंदोलन

उज्जैन। शिप्रा नदी को प्रदूषण-दूषित जल से मुक्त करने और शहर की पवित्रता को कायम रखने की की मांग को लेकर संतों-मंहतों का धरना जारी है। संतों-महंतों का कहना है कि जब तक शिप्रा और शहर के लिए कोई योजना प्रस्तुुत नहीं होती है,तब तक नहीं हटेंगे और यहीं नदी किनारे डटे रहेंगे। राज्य शासन की ओर से शिप्रा नदी सदा प्रवाहमान, स्वच्छ व निर्मल बनाए रखने और शहर की पवित्रता के लिए लिखित में आश्वासन,कोई ठोस कार्ययोजना मिलने पर ही आंदोलन खत्म किया जाएगा।

षट्दर्शन संत मंडल के वरिष्ठ सदस्य व दत्त अखाड़ा के गादीपति पीर सुंदरपुरी व महंत डा. रामेश्वरदास, महंत भगवानदास ने बताया कि शिप्रा नदी और शहर की पवित्रता को लेकर अन्न त्यागने वाले महामंडलेश्वर ज्ञानदास के साथ पूरा संत समाज खड़ा हो गया है। संतों का कहना है कि शिप्रा नदी का पानी आचमन करने लायक नहीं है। इसमें कैसे स्नान किया जा सकता है। शिप्रा में जगह-जगह नालों का दूषित पानी मिल रहा है। इसके शुद्धिकरण की मांग करते-करते साधु संतों को तीस से चालीस साल हो गए, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। अब हमें जब तक सरकार की ओर से लिखित में आश्वासन नहीं मिल जाता तब तक यहां से नहीं उठेंगे।

आप ज्ञापन ग्रहण करें
अपने संकल्प को पूरा करने की ठान कर दत्त अखाड़े पर मोर्चा खोलन कर बैठे संतों ने स्थानीय अधिकारियों से चर्चा करने से मना कर दिया है। विषय को लेकर धरना स्थल पर पहुंचे अधिकारियों से संतों ने कहा कि केवल चर्चा और मौखिक आश्वासन से कुछ नहीं होने वाला है। आप आएं है,तो ज्ञापन ग्रहण करें। संतों ने दो टूक में कहा कि मुख्यमंत्री से लिखित में आश्वासन और योजना मिलने के बाद ही आंदोलन समाप्त होगा। इसके बाद कोई भी अधिकारी धरना स्थल पर नहीं गए हैं।

कांग्रेस का समर्थन
शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष रवि राय ने संतों के आंदोलन को समर्थन दिया है। धरने के पहले दिन कांग्रेस के विधायक महेश परमार ने संतों की मांग का समर्थन मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही थी। इसके अलावा अन्य सामाजिक,धार्मिक संगठनों ने संतों बात का समर्थन किया है।

कोई भी हो उस पर कार्रवाई करें
षट्दर्शन संत मंडल के महंत डा. रामेश्वरदास का कहना है कि शिप्रा में गंदगी के लिए जो भी दोषी हो उन पर कार्रवाई होना चाहिए। शिप्रा नदी के किनारे स्थित ऐसे सभी आवासीय और व्यवसायिक उपक्रमों पर कार्रवाई होना चाहिए,जिनकी वजह से शिप्रा में गंदगी हो रहीं है। शिप्रा को दूषित-प्रदूषित करने में स्वच्छता में लगातार देश में पांच बार प्रथम रहने वाले इंदौर का हाथ है। अपनी गंदगी दूसरे शहर में बहाकर नंबर वन होना कहां कि समझदारी है। शहर के समस्त नालों का दूषित जल शिप्रा में मिलने से रोका जाए। देवास जिले से शिप्रा जल में मिलने वाले जहरीले और प्रदूषित पानी को शिप्रा जल में मिलने से रोका जाए। ताकि शिप्रा जल आचमन व स्नान योग्य हो सके।

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