शिप्रा शुद्धिकरण के लिए दत्त अखाड़ा घाट पर संतों-महंतों का अनशन

संत समाज ने कहा- शिप्रा और शहर की पवित्रता के लिए हर मोर्चे पर लडेंगेउज्जैन।करोड़ो रूपए खर्च हो जाने के बाद भी इंदौर, देवास और उज्जैन के नालों का पानी शिप्रा नदी में मिलना बंद नहीं हो रहा है। प्रतिबंध के बाद भी धार्मिक नगरी में अभक्षण सामग्री का विक्रय जारी है। इससे आक्रोशित संत समाज ने आंदोलन की शुरूआत कर दी है। इसी क्रम में संतों ने शिप्रा नदी किनारे दत्त अखाड़ा घाट पर अनशन पद बैठकर कहा कि शिप्रा और शहर की पवित्रता के लिए हर मोर्चे पर लडेंगे।मोक्षदायिनी मां शिप्रा को स्वच्छ, निर्मल व प्रदूषण मुक्त कराने और शहर की पवित्रता को कायम रखने के लिए उज्जैन के संत समाज ने गुरुवार को दत्त अखाड़ा घाट पर अनशन धरना प्रदर्शन कर चरणबद्ध आंदोलन की शुरूआत की। इसका उज्जैन के तमाम सामाजिक, धार्मिक संगठनों ने समर्थन किया है।षट्दर्शन साधु समाज संभागीय परिषद उज्जैन के महंत डॉ. रामेश्वरदास के अनुसार संत समाज ने शिप्रा और शहर की पवित्रता को लेकर ठोस कार्ययोजना लागू कराने के उद्देश्य से चरणबद्ध आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया। इसी क्रम में गुरुवार से दत्त अखाड़ा घाट पर धरना प्रदर्शन की शुरूआत की गई है। इसमें सभी प्रमुख 13 अखाड़ो से संबद्ध बैठक, मठ, मंदिरों के महंत- संत क्रमवार यहां धरना देंगे।

यह है मांग

त्रिवेणी से कालियादेह महल तक शिप्रा नदी में कोई भी दूषित जलस्त्रोत नहीं मिले।

इंदौर का प्रदूषित पानी शिप्रा में मिलने से तत्काल रोका जाए। ओपन नहर के माध्यम से इसे शिप्रा जल में मिलने से रोका जाए। इंदौर का दूषित जल शिप्रा में मिलने से रोकने के स्थाई इंतजाम किए जाए।

शहर के समस्त नालों का दूषित जल शिप्रा में मिलने से रोका जाए ताकि शिप्रा जल आचमन व स्नान योग्य हो सके।

शहर की पवित्रता को कायम रखने अभक्षण और अन्य निषेध वस्तुओं का विक्रय रोका जाए।

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