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स्नान पर पूरी तरह रोक लगे, तब भी शिप्रा को साफ होने में कम से कम दो साल लगेंगे
उज्जैन :- पुण्यसलिला आैर मोक्षदायिनी के नाम से देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में शिप्रा नदी को पहचाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवता आैर दानवों के बीच हुए समुद्रमंथन के दौरान अमृत कलश से अमृत की एक बूंद शिप्रा नदी में भी गिरी थी। लोगों की आस्था है कि शिप्रा में स्नान मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है लेकिन आपको जानकार शायद हैरानी होगी कि लोगों को मोक्ष देने वाली शिप्रा स्वयं अब इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि इसमें अगर स्नान व अन्य प्रदूषण पर पूरी तरह रोक भी लगा दी जाए तो शिप्रा को स्वच्छ होने में कम से कम दो साल लगेंगे। हाल ही में विक्रम यूनिवर्सिटी में शिप्रा नदी पर हुई रिसर्च में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है।
यूनिवर्सिटी से जीव विज्ञान संकाय के अंतर्गत सूक्ष्म जीव पर शहर की शिवी भसीन को हाल ही में पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई है। शिवी ने वाटर क्वालिटी मॉनीटरिंग ऑफ रिवर शिप्रा विद स्पेशल रिफरेंस टू माइक्रो ऑर्गेनिज्म विषय पर चार साल तक अपना शोधकार्य किया है।
पूर्व डीन प्रोफेसर शरद श्रीवास्तव के निर्देशन में एवं डॉ. अरविंद शुक्ला के सह-निर्देशन में हुए इस शोध कार्य में कई जानकारियां काफी चौंकाने वाली है। प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला की शोधार्थी रही शिवी ने बताया शोध के दौरान प्रत्येक स्नान के बाद आैर पहले की स्थितियों पर भी रिसर्च की गई। जिसमें जल के भौतिक रासायनिक परीक्षण के साथ उसमें सम्मिलित प्रोटोजोंस, एल्गी, फंजाई एवं बैक्टीरिया का अध्ययन शामिल है। प्रत्येक स्नान के बाद नदी में प्रदूषण व बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है। 2013-2014 में शिप्रा का वाटर क्वालिटी इंडेक्स (डब्ल्यूक्यूआई) एफ कैटेगरी में शामिल था। जोकि प्रदूषण की बेहद बुरी स्थिति को प्रदर्शित करता है। शिवी के अनुसार तब शिप्रा में कुल डिटोरिएशन 74.46 प्रतिशत था आैर रिकवरी का प्रतिशत 38.15 फीसदी था। इस स्थिति में यदि सभी स्नान के साथ नदी में डाली जाने वाली गंदगी, हार-फूल, कपड़े आदि के अलावा गंदे नालों के पानी पर भी पूर्णत: रोक लगा दी जाए तब भी शिप्रा को स्वच्छ होने में कम से कम दो वर्ष (1.95 वर्ष) लगेंगे। इस रिसर्च के बाद सिंहस्थ के स्नान भी हो चुके हैं। जिससे यह दो वर्ष का आंकड़ा अब 5 वर्ष से भी अधिक हो गया है।
शिप्रा नदी का पानी इतना गंदा है कि उसमें मछलियां मर रही हैं। कचरे के साथ किनारे पर आ गई हैं मरी हुई मछलियां।
इन दस प्रमुख स्नानों पर किया रिसर्च
कार्तिक पूर्णिमा (17 नवंबर 2013), सोमवती अमावस्या (2 दिसंबर 2013), मकर संक्रांति (14 जनवरी 2014), पंचक्रोशी यात्रा (30 अप्रैल 2014), सोमवती अमावस्या (25 अगस्त 2014), कार्तिक पूर्णिमा (6 नवंबर 2014), सोमवती अमावस्या (22 दिसंबर 2014), शनिश्चरी अमावस्या (1 मार्च 2014), शनिश्चरी अमावस्या (26 जुलाई 2014) आैर शनिश्चरी अमावस्या (22 नवंबर 2014)।