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1 साल में 10 क्विंटल पॉलीथिन जब्त, 6 लाख जुर्माना… कोर्ट में चालान नहीं
उज्जैन। धर्मधानी उज्जैन में पॉलीथिन प्रतिबंधित है, बावजूद उसका इस्तेमाल खुलेआम हो रहा है। दूध, किराना, कपड़े की दुकान से लेकर फल-सब्जी के ठेलों पर यह आसानी से मिल रही है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि नगर निगम ने कार्रवाई के नाम पर सालभर में 210 कारोबारियों से 10 क्विंटल से ज्यादा पॉलीथिन जब्त कर उनसे 6 लाख रुपए का जुर्माना तो वसूला मगर एक के भी खिलाफ कोर्ट में चालान पेश नहीं किया।
मालूम हो कि उज्जैन पूरे मध्यप्रदेश में सबसे पहले पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने वाला शहर था, जहां की स्थानीय नगर निगम परिषद ने साल 2014 में समस्त प्रकार की पॉलीथिन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। पॉलीथिन के विरुद्घ जागरूकता फैलाने को निगम ने सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से शहर के सभी स्कूल-कॉलेज में शपथ ग्रहण समारोह किया था। रैलियां निकालीं। इसके बाद चरणबुद्घ तरीके से नगर निगम ने पॉलीथिन का इस्तेमाल करने वालों की दुकान-गोदाम पर छापे मारे। चार साल में तकरीबन 30 क्विंटल पॉलीथिन जब्त की। लाखों रुपए जुर्माना भी वसूला मगर कोर्ट में एक भी शख्स का चालान पेश नहीं किया।
नेतागिरी सामने आती है
‘नईदुनिया’ ने नगर निगम के जिम्मेदार मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी पुरुषोत्तम दुबे कोर्ट में चालान न पेश करने का कारण पूछा तो जवाब मिला -‘कोर्ट चालान बनाने जाओ तो सत्रह प्रकार की नेतागिरी सामने आ जाती है। इसलिए जुर्माना वसूलकर राशि निगम के खजाने में जमा करा देते हैं। पॉलीथिन के विरुद्घ कार्रवाई समय-समय पर होती आई है और आगे भी होती रहेगी।’
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900 टन प्लास्टिक हर साल शहर से निकल रहा
शहर से हर साल 900 टन प्लास्टिक निकल रहा है, जो निष्पादन के लिए नगर निगम के गोंदिया ट्रेचिंग प्लांट पर भेजा जा रहा है। प्लांट संचालक उज्जैन वेस्ट मैनेजमेंट के ऋषभ सुराना ने बताया कि ज्यादातर प्लास्टि का इस्तेमाल सीमेंट इंडस्ट्रीज में कोल के विकल्प आरडीएफ बनाने में किया जा रहा है।
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यह भी जानें
– पॉलीथिन का इस्तेमाल करने पर 1 हजार रुपए जुर्माना और एक माह कारावास की सजा का प्रावधान है।
– जुर्म दोबारा करने पर मजिस्ट्रेट की इच्छा से 50 हजार रुपए तक जुर्माना और तीन माह तक कारावास की सजा का प्रावधान है।
– चार साल में जब्त तकरीबन 30 क्विंटल पॉलीथिन निगम के स्टोर विभाग में रखी है, जिसे नीलाम नहीं किया जा रहा।
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जागरूकता तो आई है
उज्जैन पूरे प्रदेश में सबसे पहले पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने वाला शहर है। पॉलीथिन के प्रति लोगों में जागरूकता आई है। यह सच है कि निगम प्रशासन पॉलीथिन प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करने में लचर रहा है। अगर निगम, प्रदूषण विभाग और राजस्व का अमला संयुक्त रूप से कार्रवाई करें तो शहर शतप्रतिशत पॉलीथिन मुक्त हो जाएगा।
-सोनू गेहलोत, अध्यक्ष, नगर निगम