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53 दिन में आया यह बदलाव:एसिम्प्टोमेटिक मरीज बढ़े, नतीजा ऑक्सीजन-बेड व रेमडेसिविर की डिमांड घटी
जिले में अब कोरोना के नए मरीज कम मिल रहे हैं। राहतभरे संकेत यह भी कि अब एसिम्प्टोमेटिक (बगैर लक्षण वाले) रोगी बढ़ रहे हैं। यानी सिम्प्टोमेटिक (लक्षण वाले व गंभीर) मरीजों की संख्या कम हो रही है। दूसरी लहर में यह परिवर्तन 53 दिनों के बाद आया है। 24 मार्च से जिले में सिम्प्टोमेटिक रोगी बढ़ने लगे थे, अब 16 मई से यह घट रहे हैं। गंभीर मरीजों के बढ़ने से तब ऑक्सीजन, बेड व रेमडेसिविर की डिमांड व किल्लत बढ़ गई थी। मौत के आंकड़े भी लगातार बढ़ने लगे थे लेकिन अब आए परिवर्तन से इन चिकित्सा सुविधाओं की डिमांड घटने लगी हैं। 20 फरवरी के बाद कोरोना की दूसरी लहर जिले में शुरू हो गई थी। 23 मार्च को 355 एक्टिव केस में से 169 लक्षण वाले व 186 बगैर लक्षण वाले थे।
24 मार्च से स्थिति बदली। इस दिन एक्टिव 404 केस में से 203 लक्षण वाले व 201 बगैर लक्षण वाले हो गए थे। 30 मार्च को यह अंतर बढ़कर एक्टिव 715 रोगियों के मुकाबले 423 लक्षण वाले रोगियों तक जा पहुंचा था। इसके बाद पूरे अप्रैल व आधे मई में भी संक्रमण का यही रूप देखा गया।
इधर 16 मई से फिर सुकूनभरा बदलाव आया। बगैर लक्षण वाले मरीज बढ़ने लगे। कुल एक्टिव 2911 में से 1489 बगैर लक्षण के व 1422 लक्षण वाले गंभीर मरीज थे। राहतभरा यह अंतर अब तक बना हुआ है। अब ना तो ऑक्सीजन की किल्लत है ना ही बेड व रेमडेसिविर इंजेक्शन की।
तब जिले के अस्पतालों में 11 से 20 टन तक ऑक्सीजन की डिमांड, अब 13 टन तक पहुंची
पहले की स्थिति…जिले के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। गंभीर व लक्षण वाले मरीजों की फजीहत हुई। ऐसे मामले भी सामने आए जिनमें अस्पताल प्रबंधकों ने मरीजों के परिजनों पर ऑक्सीजन के लिए दबाव बनाया। जिले में ऑक्सीजन की डिमांड 11 टन से बढ़कर 20 टन तक जा पहुंची थी। आपूर्ति आधी की भी नहीं हो पा रही थी। इस दौर में कुछ मरीजों की जान भी गई थी। अब की स्थिति…कड़वा अनुभव करवाने वाला यह दौर बदल गया है। अब अस्पतालों में ऑक्सीजन की डिमांड औसतन 13-14 टन रह गई है, जबकि स्टोरेज क्षमता 60 टन की बनी हुई है। यहां से नागदा, मंदसौर, नीमच, देवास, आगर जिले में भी ऑक्सीजन सप्लाय कर पा रहे हैं। कई अस्पतालों में कंसंट्रेटर भी काम आ रहे हैं। जरूरतमंदों को घरों के लिए भी सिलेंडर रिफिलिंग करवाकर दिए जा रहे हैं।
तब 793 एक्टिव केस की तुलना में 423 बेड थे, अब 850 रोगी तो होम क्वारेंटाइन में ही
पहले की स्थित… कोरोना की दूसरी लहर में जब लक्षण वाले व गंभीर मरीज बढ़ रहे थे तो उनके लिए अस्पतालों में बेड बढ़ाने की चुनौती भी सामने रही थी। आंकड़े बताते हैं कि एक अप्रैल को जिले में एक्टिव केस 793 की तुलना में माधवनगर, चरक और आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में 423 बेड ही थे। नतीजा कई जरूरतमंद मरीजों को बेड नहीं मिलने से उनके परिजनों को भी परेशान होना पड़ा था।
अब की स्थिति… प्रशासन ने सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड के इंतजाम किए। 9 मई को जिले में 3143 एक्टिव केस के एवज में जिले में 2489 बेड उपलब्ध रहे। इनमें से 1651 सरकारी और 838 निजी अस्पतालों के हैं। शहरी क्षेत्र में ऑक्सीजन व आईसीयू के 753 व 227 और ग्रामीण क्षेत्र में 189 व 7 बेड उपलब्ध रहे। जिले में 850 रोगी होम क्वारेंटाइन में हैं और अस्पतालों में कम।
पहले 500 रेमडेसिविर इंजेक्शन रोज की डिमांड थी, उपलब्धता का भरोसा भी नहीं
पहले की स्थित…दूसरी लहर में संक्रमण ने मरीजों के फेफड़ों पर हमला किया। उन्हें ज्यादा संक्रमित किया। लिहाजा ज्यादा संक्रमितों को ठीक करने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड जिले में बढ़ते हुए औसतन रोज की 500 तक जा पहुंची थी। बावजूद उपलब्धता बेहद कम थी।
बाद में प्रशासन ने इनकी आपूर्ति की व्यवस्था अपने हाथों में ली और स्थिति को संभाला।अब की स्थिति…27 अप्रैल से 7 मई तक दस दिनों में प्रशासन ने 3563 इंजेक्शन अस्पतालों को आवंटित कर दिए थे। अब तक यह आंकड़ा बढ़कर तीन गुना तक हो गया होगा। अब लक्षण वाले मरीज कम होने से इंजेक्शन की डिमांड घट गई। सरकारी अस्पतालों की तरफ से केवल 10-11 इंजेक्शन की डिमांड आ रही हैं। बुधवार को ही इस डिमांड के एवज में 100 इंजेक्शन आवंटित किए गए।