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85 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी शिप्रा में मिल रहा कान्ह का गंदा पानी
उज्जैन :- नगर सरकार शनिवार सुबह गंभीर डेम का दौरा करेगी। माैके पर जल की स्थिति देखने बाद हाथों हाथ निर्णय लिया जाएगा कि पेजयल में कटौती की जाए या नहीं। यानी एक दिन छोड़कर जल प्रदाय किया जाए या नहीं। इधर शुक्रवार तक डेम में 326 एमसीएफटी पानी था और चैनल कटिंग की जाकर जल एकत्रित भी किया जा रहा था।
कुछ दिनों से गंभीर डेम के अलावा शहरवासियों को गऊघाट ट्रीटमेंट प्लांट से शिप्रा के पानी को भी ट्रीट करके सप्लाय किया जा रहा था लेकिन नदी के जल स्तर में तेजी से गिरावट आने पर ऐसा ज्यादा दिनों तक कर पाना संभव नहीं है। इन हालातों को देखते हुए पीएचई के ईई आरके श्रीवास्तव ने तीन दिन पहले निगम कमिश्नर आशीष सिंह को शहर में एक दिन छोड़कर जल प्रदाय करने का प्रस्ताव भेजा था। ताकि बारिश में देरी होने पर भी ज्यादा परेशानी नहीं झेलना पड़े। क्योंकि गंभीर में अभी जितना पानी है उसमें से यदि डेड स्टोरेज का 100 एमसीएफटी पानी छोड़ भी दिया जाए कि बारिश तक शहर की आपूर्ति की जा सके। इधर इस प्रस्ताव के चलते महापौर मीना जोनवाल ने शनिवार को गंभीर डेम का निरीक्षण प्लान किया है। निरीक्षण के लिए सभी सुबह 8 बजे निकलेंगे। महापौर, कमिश्नर, एमआईसी के सभी सदस्य व पीएचई का अमला डेम पहुंचेगा। महापौर ने बताया कि पेयजल जैसे मुद्दे पर बेहद गंभीरता से निर्णय लेने की जरूरत होती है। मौके पर सारी परिस्थितियों को देखने व अफसरों से चर्चा के बाद सर्वानुमति से निर्णय लेंगे कि आगे किस तरह की व्यवस्था रखना है।
शुक्रवार को डेम का अवलोकन कर हकीकत जानी। डेम में 24 कड़ी शटर लगे हैं। सभी से पानी का रिसाव हो रहा है। कुछ में तेजी से पानी आ रहा है। पानी बहाव के साथ शिप्रा में मिलता है। 8 फीट क्षमता के डेम के ऊपरी हिस्से में 5 फीट पानी भरा है। कड़ी शटर उचकाने से पानी तेजी से शिप्रा में मिल सकता है।
85 करोड़ रु. खर्च करने के बाद भी इंदौर की प्रदूषित कान्ह नदी का गंदा पानी शिप्रा में मिल रहा। जल संसाधन विभाग ने इस संबंध में नानाखेड़ा थाने में शिकायत की है अज्ञात लोग कान्ह के राधौ पिपलिया स्टापडेम के शटर उचका रहे हैं, जिस कारण डेम से पानी का रिसाव हो रहा है। कान्ह नदी के गंदे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए इंदौर रोड पर राधौ पिपलिया के पास कान्ह के स्टापडेम से गंदे पानी को पाइप लाइन से डायवर्ट कर कालियादेह के पास छोड़ने के लिए योजना लागू की गई। इस पर 85 करोड़ रु. खर्च किए। योजना सवालों के घेरे में है क्योंकि जिस स्टापडेम से पानी रोका है, उससे गंदे पानी का रिसाव तेजी से हो रहा है। यह पानी त्रिवेणी पर शिप्रा में मिलता है। इस संबंध में जल संसाधन विभाग ने नानाखेड़ा थाने में आवेदन दिया है। इसमें लिखा है कि अज्ञात लोग डेम के शटर खोलने का प्रयास करते हैं। जिससे पानी का रिसाव हो रहा है।
जल संसाधन द्वारा नानाखेड़ा थाने में दिए गए आवेदन के अनुसार कुछ लोग राधौ पिपलिया स्टापडेम के गेट खोलने का प्रयास करते हैं। कड़ी शटर उचका कर उसके नीचे पत्थर रख देते हैं। इससे शटर के नीचे से पानी बहता है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार कान्ह का पानी स्टापडेम पर रोक देने से राधौ पिपलिया से त्रिवेणी के बीच नदी सूख गई है। इससे सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है और न ही ट्यूबवेल रिचार्ज हो रहे हैं। स्टापडेम के पानी को बहाकर यहां लाने के लिए अज्ञात लोग शटर उचका देते हैं।
प्रदूषण की रोकथाम फिर चुनौती
पीएचई शिप्रा के पानी का उपयोग जलप्रदाय में भी कर रहा है। ऐसे में शिप्रा में कान्ह के गंदे पानी के प्रदूषण की रोकथाम प्रशासन के लिए फिर चुनौती बन गई है। प्रदूषित पानी शहर में पेयजल के रूप में सप्लाई नहीं किया जा सकता।
ईई बोले- डेम में स्थायी शटर लगाएंगे
जल संसाधन विभाग के ईई मुकुल जैन ने कहा शटर उचकाकर पानी निकालने के प्रयास करने से रिसाव हो रहा है। रिसाव ज्यादा नहीं है। पानी अभी त्रिवेणी तक नहीं पहुंच रहा। डेम में ऐसे स्थायी शटर लगाए जाएंगे जिन्हें कोई उचका नहीं सके।