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कादंबरी में वर्णित तिलक स्वरूप उज्जयिनी अब कैनवास पर उतर रही
मेवाड़ शैली में किया जा रहा उज्जयिनी का चित्रांकन
उदयपुर के 60 वर्षीय चित्रकार युगल किशोर शर्मा मेवाड़ शैली में तिलक स्वरूप में तैयार हो रही पेंटिंग में शिखर पर महाकाल मंदिर व भगवा ध्वज, नीचे आैर दायीं व बायीं ओर मंदिर एवं चारों तरफ बहती शिप्रा नदी को रूप देते हुए रंग भरे जा रहे हैं।
सुंदर उपवन के साथ उसमें कुमुद आैर नीलकमल
देवास की सोनाली चौहान उज्जयिनी में उपवन का चित्र तैयार कर रही है। चित्र में सुंदर उपवन के साथ उसमें कुमुद आैर नीलकमल के साथ तत्कालीन समय के प्राकृतिक वैभव का चित्रांकन सामने आएगा। बगुले आैर पक्षियों को भी चित्रांकित किया जा रहा है।
महिलाओं द्वारा उस समय की जाने वाली लोक कलाएं
बाणभट्ट ने लिखा है भवन दीर्घाओं में पाली हुई कलहंसियां कोलाहल से पुर वनिताओं का मनोरंजन करती थीं। उज्जैन की हर्षा चेतवानी इसी भावार्थ पर चित्र बना रही हैं। खाली समय में महिलाएं घर की छत पर बैठी चित्रकारी करती, संगीत बजाती नजर आ रही हैं
पिछवई शैली में पंख फैलाकर नाचते मयूर का चित्रण
महेश शर्मा स्टोन कलर से कपड़े पर यह पेंटिंग बना रहे हैं। इसमें झुंड बनाकर नृत्य करते मयूर के छोटे-छोटे समूह बेहद आकर्षित लगते हैं। मयूर के 8 अलग-अलग चित्रण इस पेंटिंग में नजर आएंगे, जिसमें पंख फैलाकर नृत्य करते मयूर भी शामिल हैं।
एसिड फ्री पेपर पर कभी न टूटने वाली चित्रकारी
उदयपुर के चित्रकार छोटूलाल पेंटिंग को स्टोन कलर से एसिड फ्री पेपर पर तैयार कर रहे हैं। खासियत यह है कि यह न कभी टूटेगी आैर न कभी पीली पड़ेगी। पेंटिंग में मंदिर के शिखर को तिलक स्वरूप में दर्शाते हुए मध्य में शिवलिंग भी नजर आएंगे।