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कोरोना हॉटस्पॉट ना बन जाए शहर का रेड अस्पताल
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के हाल बेहाल
न कोई जिम्मेदार व्यक्ति, न कोई व्यवस्था, मेडिकल स्टाफ का जीवन संकट में,
डॉ. महाडिक होम क्वारेंटाइन और प्रशासन मौन
उज्जैन- जिस अस्पताल में संभाग के सभी कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज हो रहा हो। यदि वह ही पूरी अव्यवस्था का शिकार हो तो कोरोना से यह जंग आखिर कैसे जीती जाएगी? इसी सवाल के साथ काम कर रहे हैं उज्जैन के कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल आरडी गार्डी के डॉक्टर, नर्स, वार्डबॉय और अन्य स्टाफ।
पर्याप्त पुलिस बल ही मौजूद नहीं, मरीजों से अस्पताल कर्मी परेशान : कोविड अस्पताल होते हुए भी आरडी गार्डी में गिनती का पुलिस बल तैनात है, जिससे मरीजों की गतिविधियों पर ध्यान देने वाला भी कोई नहीं है। अस्पताल के सूत्रों ने बताया की मरीज अस्पताल की लॉबी, गार्डन, कॉरिडोर में बिना किसी रोक के पहुंच जाते हैं। यदि उन्हें कोई मेडिकल स्टाफ का सदस्य ऐसा करने से रोकता है तो उसे अपशब्द कहते हुए उन पर पत्थर फेंक रहे हैं और इधर-उधर थूक रहे हैं। पॉजिटिव मरीज पूरे अस्पताल में अपनी मर्जी के अनुसार घूम रहे हैं और कहीं भी गंदगी कर रहे हैं।
अव्यवस्था अस्पताल को ही ना बना दे कोरोना हॉटस्पॉट –
आरडी गार्डी के इन कोरोना वॉरियर डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की माने तो यदि जल्दी इन व्यवस्थाओं को नहीं सुधारा गया तो इन सब का मनोबल टूट जाएगा और ऐसे में इस लड़ाई को जीतने में और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इनका मानना है कि जब यह अस्पताल जिले का एकमात्र कोरोना रेड हॉस्पिटल है तो यहां की व्यवस्था और प्रबंधन प्रशासन अपने पास स्थानांतरित क्यों नहीं कर लेता, जिससे यहां के स्टाफ की सही ढंग से देख रेख हो सकते और व्यवस्थाएं सुधारी जा सके।
जो डॉक्टर्स संभाल रहे सारी व्यवस्था उनकी ओर न प्रबंधन का ध्यान न प्रशासन का-
हॉस्पिटल प्रबंधन में अव्यवस्था का आलम यह है कि सारी व्यवस्था डॉक्टर्स और रेसीडेंट पीजी डॉक्टर्स के हवाले है। उन्ही के नि:स्वार्थ सेवाकार्य के चलते ही कोरोना के मरीजों का इलाज हो पा रहा है। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन की और से इनकी सुरक्षा और मदद के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए जा रहे। ऐसे ही एक रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि डॉक्टर्स रोस्टर के माध्यम से प्रतिदिन 12 घंटे की ड्यूटी दे रहे हैं।
रोस्टर सिस्टम में भी विषमताएं ऐसी हैं कि कुछ डॉक्टर्स को सप्ताह में एक बार, कभी-कभी एक साथ 24 घंटे की भी ड्यूटी करना पड़ रही है। वे बताते हैं की ड्यूटी के बाद हम सभी को अपने रूम में क्वारेंटाइन में रहना है, बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन या प्रशासन की ओर से हमे भोजन या अन्य सामग्री हमारे रूम तक नहीं पहुंचाई जा रही है।
इसकी व्यवस्था भी हम हमारे अन्य साथी डॉक्टर्स की मदद से कर रहे हैं। पीपीई किट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। इसके इस्तेमाल के लिए हमे यह निर्देश है की सिर्फ कोरोना वार्ड में ही इसका उपयोग करे, जबकि सुरक्षा की दृष्टि से पूरे अस्पताल में पीपीई किट पहने रखना अनिवार्य है। इन सब समस्याओं को न कोई सुन ने वाला है न इन पर कोई कार्यवाही करने वाला।